Logo

चैत्र नवरात्रि: मां कालरात्रि की कथा

चैत्र नवरात्रि: मां कालरात्रि की कथा

Maa kalratri Katha: चैत्र नवरात्रि के सातवें दिन जानें मां कालरात्रि की कथा, इससे आपको भय से मुक्ति मिलती है 

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की साधना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि अपने भक्तों के जीवन से अंधकार और अज्ञान को समाप्त करती हैं और उन्हें शक्ति प्रदान करती हैं। इस दिन पूजा, अर्चना और साधना करने से जीवन में हो रहे सभी नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है और शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।

भगवान शिव का वरदान

एक समय शुंभ-निशुंभ नामक राक्षस तीनों लोकों पर राज कर रहे थे। उन्होंने देवताओं को पराजित कर इंद्रलोक पर कब्जा कर लिया था। जिससे सभी देवता अत्यंत दुखी हो गए। राक्षसों के बुरे आचरण से मुक्ति पाने हेतु देवता भगवान शिव की स्तुति करने लगे। देवताओं की स्तुति सुनकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उनहोन मां पार्वती को दैत्यों का संहार करने का आदेश दिया। इसके बाद मां पार्वती ने भगवान शिव की बात का पालन कर देवी दुर्गा का रूप धारण किया। 

शुम्भ-निशुम्भ कथा

मां दुर्गा पहाड़ों पर विचरण करने लगी, तभी शुंभ-निशुंभ के एक दूत ने मां को देखा और उसने जाकर यह खराब शुंभ-निशुंभ को पहुंचाई। दूत ने बताया कि पर्वतों पर एक सुंदर कन्या सिंह पर सवार होकर घूम रही है। वो दिखने में अति सुंदर और साहसी लगती है, जो आपके लिए एक योग्य पत्नी साबित होगी। यह सुनकर शुंभ-निशुंभ ने मां दुर्गा को लाने के लिए दूत भेजा, लेकिन मां दुर्गा ने शुंभ-निशुंभ पर हंसते हुए कहा कि वह कभी भी राक्षस से विवाह नहीं करेंगी, जिससे शुंभ-निशुंभ क्रोधित हो गए। 

रक्तबीज के संहार की कथा

क्रोधित होकर शुंभ-निशुंभ ने रक्तबीज नामक राक्षस को भेजा, जिसे यह आशीर्वाद प्राप्त था कि धरती पर उसके रक्त की प्रत्येक बूंद से एक नया रक्तबीज राक्षस उत्पन्न होगा। देवी दुर्गा ने उससे युद्ध करना शुरू कर दिया, लेकिन जब मां को एहसास हुआ कि इस प्रकार से वह युद्ध नहीं जीत पाएंगी, तो उन्होंने मां काली को रक्तबीज का खून पीने के लिए बुलाया। मां काली ने सारा रक्त पीना शुरू कर दिया और रक्त की एक भी बूंद जमीन पर नहीं गिरने दी। इस प्रकार उन्होंने रक्तबीज का वध किया और इसी कारण से मां दुर्गा का नाम कालरात्रि पड़ा। 

........................................................................................................
यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeBook PoojaBook PoojaTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang