Maa Mahagauri Katha: चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन जानें मां महागौरी की कथा, इससे मनोकामनाओं की पूर्ति होती है
चैत्र नवरात्रि की दुर्गाष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दुर्गाष्टमी पर मां महागौरी की पूजा-अर्चना, साधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही, जीवन में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है।
मां महागौरी अवतार कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप, देवी पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की थी। जिसमें शुरुआत के हजारों साल तक उन्होंने केवल फल-फूल का सेवन करके तपस्या किया। इसके बाद उन्होंने सौ वर्षों तक केवल साग खाया और मिट्टी में रहकर भगवान शिव की आराधना की फिर तीन हजार वर्षों तक केवल बेलपत्र का सेवन कर भगवान शंकर की उपासना की। इस कठिन तपस्या के कारण उनका शरीर मलिन और काला पड़ गया। लेकिन भगवान शिव को देवी पार्वती का यह एकाग्र समर्पण देखकर प्रसन्नता हुई, भगवान शिव ने उनकी मनोकामना स्वीकार की और उन पर गंगाजल छिड़का जिससे उनका शरीर शुद्ध और श्वेत रंग का हो गया। उनका वह स्वरूप शांत, करुणामय, स्नेहमय, पवित्र और श्वेत था, जिस कारण वह महागौरी के नाम से प्रसिद्ध हुईं।
मां महागौरी की कथाएं
ऐसा कहा जाता है कि माता के इस रूप ने ही शुंभ-निशुंभ का वध कर संसार में सकारात्मक ऊर्जा का संचार किया था। मां दुर्गा ने महागौरी का अवतार ले शुंभ-निशुंभ से युद्ध किया और उन्हें पराजित करने के बाद देवताओं को वापस से स्वर्ग सौंप दिया। इसके बाद सभी देवताओं ने मिल कर मां दुर्गा के इस स्वरूप की आराधना की।
एक अन्य कथा के अनुसार, एक समय पृथ्वी पर अंधकार छा गया था, जिससे चारों ओर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ने लगा। देवताओं ने देवी दुर्गा से प्रार्थना कर उनसे इस अंधकार को समाप्त करने का आशीर्वाद मांगा। तब मां दुर्गा ने अपने महागौरी स्वरूप का प्रचंड रूप धारण किया और अपनी दिव्य शक्तियों से चारों दिशाओं को प्रकाशित कर दिया।
जय जयकार माता की,
आओ शरण भवानी की
जय महाकाल जय महाकाल,
जय महांकाल जय महांकाल,
जय महाकाली शेरावाली,
सारे जग की तू रखवाली,
जय माता दी बोल भगता,
चिट्ठी माँ की आएगी,