अगस्त का महीना हरियाली, ताजगी और शांत मौसम का प्रतीक होता है। यह समय न केवल प्रकृति की सुंदरता को निहारने का है, बल्कि नवीन शुरुआतों और धार्मिक संस्कारों के लिए भी उपयुक्त माना जाता है। इन्हीं संस्कारों में एक है — मुंडन संस्कार, जिसे चूड़ाकर्म संस्कार भी कहा जाता है। मुंडन संस्कार आमतौर पर बच्चे के जन्म के एक वर्ष या तीन वर्ष के भीतर संपन्न कराया जाता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्वास्थ्य और वैज्ञानिक कारणों से भी इसे विशेष माना गया है। माना जाता है कि इस संस्कार से बच्चे की शारीरिक और मानसिक ऊर्जा शुद्ध होती है और जीवन में सकारात्मक दिशा मिलती है। हिंदू धर्म में वर्णित 16 प्रमुख संस्कारों में यह 8वां संस्कार है, जिसे अन्नप्राशन संस्कार के बाद संपन्न कराया जाता है। आइए जानते हैं कि अगस्त 2025 में मुंडन के लिए कौन-कौन से शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं, ताकि आप इस विशेष संस्कार को सही समय पर संपन्न कर सकें।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगस्त से दिसंबर 2025 के बीच मुंडन संस्कार के लिए कोई विशेष शुभ मुहूर्त उपलब्ध नहीं है। इस अवधि में पंचांग और नक्षत्रों की स्थिति मुंडन के लिए अनुकूल नहीं है, जिसके कारण इस अवधि में मुंडन संस्कार से बचने की सलाह दी जाती है। हालांकि, कुछ लोग शारदीय नवरात्रि के दौरान मुंडन संस्कार का आयोजन करते हैं, क्योंकि इसे पवित्र और शुभ समय माना जाता है। यदि आप अगस्त से दिसंबर के बीच मुंडन कराने की योजना बना रहे हैं, तो यह जरूरी है कि आप ज्योतिषी की सलाह लें और बच्चे की कुंडली, नक्षत्र और ग्रहों की स्थिति के आधार पर व्यक्तिगत मुहूर्त का निर्धारण करें। मुंडन संस्कार एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि के लिए किया जाता है। यह बच्चे के जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। इसलिए इसे सही समय पर और विधि-विधान से करना आवश्यक है। आप भी अपने बच्चों के मुंडन की योजना बनाने से पहले ज्योतिषी की सलाह ले सकते हैं और शुभ मुहूर्त के अनुसार आयोजन कर सकते हैं।
सनातन धर्म में मुंडन संस्कार एक अनिवार्य संस्कार माना जाता है, जिसे शुभ मुहूर्त में संपन्न कराया जाता है। इसका धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है।
धार्मिक महत्व
वैज्ञानिक महत्व
पारंपरिक महत्व
मुंडन संस्कार एक पारंपरिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, जो परिवार और समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा को बढ़ाता है।