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नागवासुकी मंदिर, प्रयागराज

नागवासुकी मंदिर, प्रयागराज

MahaKumbh 2025: समुद्र मंथन के सांप से जुड़ा है नागवासुकी मंदिर का रहस्य, कुंभ में जरूर करें दर्शन


प्रयागराज, धर्म और आस्था की पवित्र नगरी, इन दिनों महाकुंभ की तैयारियों में जुटी है। संगम नगरी में लगने वाले इस महोत्सव में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु स्नान और पूजा के लिए पहुंचने वाले हैं। इस धार्मिक आयोजन के दौरान प्रयागराज के प्रमुख घाटों के साथ-साथ यहां के ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिरों के दर्शन करना भी एक खास अनुभव होता है। इनमें नागवासुकी मंदिर का विशेष स्थान है। यह प्राचीन मंदिर अपने अद्भुत इतिहास और पौराणिक महत्व के लिए जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर के दर्शन किए बिना संगम की यात्रा अधूरी मानी जाती है।


अगर आप महाकुंभ में आ रहे हैं, तो नागवासुकी मंदिर के दर्शन जरूर करें और इस शुभ अवसर को यादगार बनाएं। आइए, नागवासुकी मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातों को जानते हैं।



दारागंज के उत्तरी कोने में स्थित है मंदिर 


धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज में संगम तट से उत्तर दिशा की ओर दारागंज के उत्तरी कोने पर स्थित है पौराणिक नागवासुकी मंदिर। यहाँ नागों के राजा वासुकी की पूजा होती है। मान्यता है कि प्रयागराज आने वाले तीर्थयात्री की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक वे नागवासुकी के दर्शन नहीं कर लेते।



मंदिर तोड़ने में असफल रहा औरंगजेब


कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब, जो भारत में मंदिरों को तोड़ने के लिए कुख्यात था। वो नागवासुकी मंदिर को भी तोड़ने पहुंचा था । जैसे ही उसने मूर्ति पर भाला चलाया, अचानक मूर्ति से दूध की धार निकलकर उसके चेहरे पर पड़ी और वह बेहोश हो गया। इस अद्भुत घटना के बाद औरंगजेब को निराश होकर लौटना पड़ा। यही कारण है कि यह मंदिर आज भी अखंड खड़ा है ।  इसकी महिमा चारों दिशाओं में गाई जाती है।



नागराज वासुकी का पौराणिक इतिहास


पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और असुरों ने नागवासुकी को सुमेरु पर्वत में लपेटकर रस्सी के रूप में इस्तेमाल किया। मंथन के बाद वासुकी नाग घायल और लहूलुहान हो गए। भगवान विष्णु के आदेश पर नागराज वासुकी ने प्रयागराज की इस भूमि पर विश्राम किया, जिससे इस स्थान का नाम नागवासुकी मंदिर पड़ा।



भगवान विष्णु से प्राप्त तीन दिव्य वरदान


नागराज वासुकी को भगवान विष्णु से तीन अनोखे वरदान मिले


संगम स्नान का महत्व: संगम में स्नान करने के बाद नागवासुकी के दर्शन किए बिना स्नान अधूरा माना जाएगा।

कालसर्प दोष से मुक्ति: नागवासुकी के दर्शन मात्र से कालसर्प दोष समाप्त हो जाता है।

नगर देवता की पूजा: नगर देवता बेदी माधव हर साल स्वयं नागवासुकी की पूजा करने आते हैं।



सावन और कुंभ में उमड़ती श्रद्धालुओं की भीड़


विशेष रूप से सावन और कुंभ के दौरान इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर की ऐतिहासिक और धार्मिक महिमा इसे प्रयागराज के सबसे पवित्र स्थलों में से एक बनाती है। महाकुंभ 2025 में यदि आप प्रयागराज आएं, तो इस दिव्य मंदिर के दर्शन जरूर करें।


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