Sawan Rudrabhishek katha: सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस पूरे माह में श्रद्धालु विशेष रूप से शिव जी की पूजा-अर्चना करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत, जप और अभिषेक करते हैं। महादेव को सावन का यह मास अत्यंत प्रिय होता है, इसलिए इस दौरान रुद्राभिषेक का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि सावन में रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि रुद्राभिषेक क्यों किया जाता है और इसके क्या-क्या लाभ होते हैं।
रुद्राभिषेक एक ऐसी पवित्र पूजा विधि है जिसमें भगवान शिव के रुद्र रूप की आराधना की जाती है। रुद्र, शिव का उग्र और शक्तिशाली स्वरूप माने जाते हैं, जो सभी ग्रह दोषों, बाधाओं और कष्टों का नाश करने वाले हैं। रुद्राभिषेक का तात्पर्य है - भगवान रुद्र का अभिषेक करना, अर्थात शिवलिंग पर पवित्र जल, पंचामृत व अन्य सामग्री से स्नान कराकर उनका पूजन करना।
मान्यताओं के अनुसार, श्रावण मास में भगवान शिव स्वयं रुद्र रूप में सृष्टि का संचालन करते हैं। इसलिए सावन के महीने में रुद्राभिषेक करना अत्यधिक पुण्यदायी और फलदायक माना गया है। रुद्राष्टाध्यायी में स्पष्ट कहा गया है कि ‘शिव ही रुद्र हैं और रुद्र ही शिव हैं’, अतः इस मास में की गई आराधना शीघ्र फल देने वाली होती है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु की नाभि से एक दिव्य कमल प्रकट हुआ, जिससे ब्रह्मा जी का जन्म हुआ। ब्रह्मा जी जब अपने सृजन का कारण जानने भगवान विष्णु के पास पहुंचे, तो विष्णु जी ने बताया कि ब्रह्मा की उत्पत्ति उन्हीं से हुई है। लेकिन ब्रह्मा जी इस बात को स्वीकार करने को तैयार नहीं हुए, जिसके कारण दोनों के बीच घोर विवाद हुआ और युद्ध की स्थिति बन गई। इस ब्रह्मांडीय संघर्ष से क्रोधित होकर भगवान रुद्र एक तेजोमय लिंग रूप में प्रकट हुए। यह लिंग इतना विराट था कि ब्रह्मा और विष्णु इसके आदि और अंत को खोज नहीं पाए। जब दोनों ने अपनी हार स्वीकार की, तब उन्होंने उस ज्योतिर्लिंग का विधिपूर्वक अभिषेक किया, जिससे भगवान रुद्र प्रसन्न हुए। यही घटना रुद्राभिषेक की शुरुआत मानी जाती है, जो आज भी भगवान शिव को प्रसन्न करने की एक प्रभावशाली साधना मानी जाती है।
ऐसा माना जाता है कि श्रावण मास में रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति के पिछले कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से रुद्राभिषेक के माध्यम से की जाती है, जिससे साधक को मनचाहा फल प्राप्त होता है और ग्रहों से संबंधित दोष भी दूर हो जाते हैं। यदि रुद्राभिषेक करते समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप किया जाए, तो उसका प्रभाव और अधिक शक्तिशाली हो जाता है। इससे जीवन में सुख, शांति और सफलता प्राप्त होता है। रुद्राभिषेक में अलग-अलग सामग्रियों से अभिषेक करने का अपना-अपना महत्व है। दूध से अभिषेक करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है, जबकि दही से शिवलिंग का अभिषेक करने से कार्यों में आ रही बाधाएं समाप्त होती हैं। इसके अलावा, गंगाजल, शहद, घी, इत्र, गन्ने का रस, सरसों का तेल और शुद्ध जल से रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन की समस्त कठिनाइयां दूर हो जाती हैं।