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विद्यारंभ मुहूर्त सितंबर 2025

विद्यारंभ मुहूर्त सितंबर 2025

September 2025 Vidyarambh Muhurat: सितंबर में करना चाहते हैं बच्चे का विद्यारंभ संस्कार? यहां जानें शुभ मुहूर्त और नक्षत्र

एक बच्चे की शिक्षा यात्रा की शुरुआत एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होता है जो उसके भविष्य को आकार देता है। यह संस्कार भारतीय परंपरा में विशेष महत्व रखता है, जहां ज्योतिष के अनुसार ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति और शुभ योगों का ध्यान रखा जाता है ताकि बच्चे की शिक्षा और जीवन में सफलता के लिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। बच्चे के जीवन में और भी कई महत्वपूर्ण संस्कार और अनुष्ठान होते हैं लेकिन विद्यारंभ संस्कार का अपना अलग महत्व है। विद्यारंभ संस्कार बच्चे की शिक्षा यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है जो उसके भविष्य को आकार देता है। विद्यारंभ समारोह में बच्चे को पढ़ाई की शुरुआत करने के लिए प्रेरित किया जाता है। लेकिन इससे पहले कि वह अपनी शिक्षा यात्रा शुरू करे, एक शुभ मुहूर्त का चयन किया जाना बहुत जरूरी होता है। बच्चे की कुंडली के आधार पर गणना की जाती है। ऐसे में इस लेख में हम आपको सितंबर 2025 में विद्यारंभ के मुहूर्त के बारे में बताएंगे।

सितंबर 2025 में विद्यारंभ मुहूर्त क्यों नहीं है? 

विद्यारंभ संस्कार बच्चे के जीवन में शिक्षा की औपचारिक शुरुआत का प्रतीक होता है। यह संस्कार बच्चे को सरस्वती उपासना के माध्यम से विद्या, बुद्धि और ज्ञान की दिशा में आगे बढ़ने का आशीर्वाद दिलाता है। लेकिन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान यह संस्कार वर्जित माना गया है। चातुर्मास 2025: 6 जुलाई से 1 नवंबर तक है। इस दौरान भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि जब देवता विश्राम में हों, तो विद्यारंभ, विवाह, उपनयन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। इसके अतिरिक्त, इस अवधि में ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति शिक्षा संबंधी शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं मानी जाती, जिससे कार्य के शुभ फल बाधित हो सकते हैं। अतः यदि आप अपने बच्चे का विद्यारंभ संस्कार कराना चाहते हैं, तो इसके लिए देवउठनी एकादशी (1 नवंबर 2025) के बाद का शुभ मुहूर्त चुनना उचित रहेगा। सही समय पर किया गया विद्यारंभ संस्कार बच्चे के जीवन में ज्ञान, विवेक और सफलता की मजबूत नींव रखता है।

विद्यारंभ संस्कार का महत्व

विद्यारंभ संस्कार भारतीय संस्कृति और परंपरा में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह बच्चे की शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक होता है। यह बच्चे के जीवन में ज्ञान की प्राप्ति की दिशा में पहला कदम होता है, जो उसके भविष्य को आकार देता है। इसके अलावा:

  • यह बच्चे की शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक होता है।
  • यह बच्चे के जीवन में ज्ञान की प्राप्ति की दिशा में पहला कदम होता है।
  • यह बच्चे के भविष्य को आकार देता है।
  • यह बच्चे के जीवन में ज्ञान और बुद्धिमत्ता की वृद्धि के लिए देवी सरस्वती की पूजा का अवसर प्रदान करता है।

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