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जनेऊ संस्कार शुभ मुहूर्त जून 2025

जनेऊ संस्कार शुभ मुहूर्त जून 2025

June 2025 Upanayana Muhurat: जून में करना चाहते हैं उपनयन संस्कार? यहां जानें शुभ मुहूर्त और नक्षत्र

उपनयन संस्कार, जिसे जनेऊ संस्कार भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक अत्यंत पवित्र और आवश्यक संस्कार है। यह संस्कार बालक के जीवन में धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान की शुरुआत का प्रतीक होता है। उपनयन का शाब्दिक अर्थ है – "निकट लाना" यानी बालक को गुरु और वेदों के ज्ञान के समीप लाना।

इस अवसर पर बालक को जनेऊ (यज्ञोपवीत) धारण कराया जाता है – एक पवित्र धागा जिसमें तीन सूत होते हैं। ये तीन सूत ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक माने जाते हैं, साथ ही देव ऋण, पितृ ऋण और ऋषि ऋण का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। जनेऊ पुरुष के बाएं कंधे के ऊपर से दाहिनी भुजा के नीचे तक पहनाया जाता है, और इसके नियमों का पालन करना आवश्यक होता है।

जून 2025 जनेऊ संस्कार मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, जून 2025 में जनेऊ संस्कार के लिए निम्नलिखित शुभ तिथियां और मुहूर्त उपलब्ध हैं:

5 जून 2025, गुरुवार

मुहूर्त: सुबह 08:51 से दोपहर 03:45 बजे तक

6 जून 2025, शुक्रवार

मुहूर्त: सुबह 08:47 से दोपहर 03:41 बजे तक

7 जून 2025, शनिवार

मुहूर्त: सुबह 06:28 से 08:43 बजे तक

मुहूर्त: सुबह 11:03 से शाम 05:56 बजे तक

8 जून 2025, रविवार

मुहूर्त: सुबह 06:24 से 08:39 बजे तक

12 जून 2025, गुरुवार

मुहूर्त: सुबह 06:09 से दोपहर 01:01 बजे तक

मुहूर्त: दोपहर 03:17 से रात 07:55 बजे तक

15 जून 2025, रविवार

मुहूर्त: सुबह 07:31 से दोपहर 02:23 बजे तक

30 जून 2025, सोमवार

मुहूर्त: सुबह 06:45 से 10:57 बजे तक

मुहूर्त: दोपहर 01:43 से शाम 05:33 बजे तक

जनेऊ संस्कार का आध्यात्मिक महत्व

जनेऊ में तीन सूत्र होते हैं जो त्रिगुण – सत्व, रज और तम का प्रतीक हैं। इसमें पांच गांठें होती हैं, जो पंच महापुरुषार्थ – धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष और ब्रह्म की ओर संकेत करती हैं। इसकी लंबाई 96 अंगुल मानी जाती है, जो मानव जीवन के 96 संस्कारों और गुणों को दर्शाती है। जनेऊ को धारण करने के बाद व्यक्ति को गायत्री मंत्र का नियमित जप करना चाहिए और संध्या वंदन की परंपरा अपनानी चाहिए।

उपनयन संस्कार क्यों किया जाता है?

  • यह बालक को धार्मिक जीवन की ओर प्रेरित करता है।
  • यह शिक्षा, ब्रह्मचर्य और अनुशासन की शुरुआत का प्रतीक है।
  • यह व्यक्ति को कर्तव्य, जिम्मेदारी और समाज में सम्मान के योग्य बनाता है।
  • उपनयन संस्कार के बाद ही बालक वेद अध्ययन, संध्या वंदन और धार्मिक कर्तव्यों का अधिकारी बनता है।
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