महाकुंभ, हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह एक ऐसा धार्मिक समागम है जिसके लिए करोड़ों लोग देश-विदेश से आते हैं। हर बार जब महाकुंभ का आयोजन होता है, तो यह न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान होता है बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी होता है। इस बार महाकुंभ का आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में संगम के तट पर किया जा रहा है।
महाकुंभ के दौरान, हम विभिन्न संप्रदायों के साधु-संतों को देखते हैं जो अपनी भक्ति और तपस्या के लिए जाने जाते हैं। इनमें नागा साधु, अघोरी और कई अन्य संत शामिल हैं। ये सभी साधु-संत लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और उनके कल्याण की कामना करते हैं।
इस महाकुंभ में एक विशेष व्यक्ति चर्चा का विषय बने हुए हैं जिन्हें रबड़ी बाबा के नाम से जाना जाता है। रबड़ी बाबा सुबह से लेकर देर रात तक लगातार दूध उबालकर रबड़ी बनाते हैं और इसे श्रद्धालुओं को प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं। उनकी इस सेवा भावना ने सभी को प्रभावित किया है।
रबड़ी बाबा की यह पहल न केवल एक धार्मिक कार्य है बल्कि सेवा और समर्पण का भी एक प्रतीक है। वे दिखाते हैं कि कैसे एक छोटी सी पहल से भी बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं। रबड़ी बाबा की इस सेवा भावना से प्रेरित होकर, कई अन्य लोग भी इस तरह के कार्य करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में रबड़ी वाले बाबा के बारे में विस्तार से जानते हैं।
संगम की पवित्र धरती पर रबड़ी बाबा की निस्वार्थ सेवा का जादू छाया हुआ है। श्री महंत देवगिरि, जिन्हें रबड़ी बाबा के नाम से जाना जाता है, हर रोज सुबह से लेकर देर रात तक दूध की उबलती कड़ाही के पास खड़े रहते हैं। उनकी मेहनत से बनी मलाईदार रबड़ी, भक्तों के लिए प्रसाद के रूप में एक अनमोल उपहार है। बाबा की यह अखंड सेवा, कुंभ में एक नया अध्याय जोड़ रही है और लाखों श्रद्धालुओं के दिलों को छू रही है। रबड़ी बाबा ने बताया कि वे 9 दिसंबर से महाकुंभ में आए हैं और यह पवित्र आयोजन 6 फरवरी तक चलेगा। वे हर दिन सुबह 8 बजे ताज़ी रबड़ी तैयार करते हैं। इस रबड़ी को बनाने से पहले वे कपिल मुनि और अन्य देवताओं को भोग लगाते हैं, फिर इसे श्रद्धालुओं में बांटा जाता है।
बाबा ने बताया कि उन्हें यह विचार 2019 में आया था जब उन्होंने डेढ़ महीने तक मिठाई परोसकर कई लोगों का दिल जीता था। उस अनुभव ने उन्हें लोगों की सेवा करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, "मुझे यह रबड़ी बनाने का विचार 2019 में आया था। रबड़ी का भोग कपिल मुनि को लगाते हैं और फिर लोगों में बांटी जाती है...यह केवल लोगों की सेवा के लिए है और कोई पब्लिसिटी स्टंट नहीं है बल्कि देवी महाकाली के आशीर्वाद से प्रेरित एक दिव्य कार्य है।"
रबड़ी बाबा ने महाकुंभ में आए सभी लोगों को हार्दिक निमंत्रण दिया है। वे कहते हैं, "महाकुंभ में शामिल होने वाले सभी लोगों को हार्दिक निमंत्रण देते हुए रबड़ी बाबा ने कहा कि उनके द्वारा बनाई गई रबड़ी की मिठास का स्वाद लेने के लिए सभी का स्वागत है। हजारों लोग इस रबड़ी का स्वाद ले रहे हैं।"
श्री ऋषिपंचमी व्रत कथा (भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को किया जाने वाला व्रत) राजा सुताश्व ने कहा कि हे पितामह मुझे ऐसा व्रत बताइये जिससे समस्त पापों का नाश हो जाये।
सन्तान सप्तमी व्रत कथा (यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को किया जाता है।) एक दिन महाराज युधिष्ठिर ने भगवान् से कहा कि हे प्रभो!
(यह व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को आरम्भ करके आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को समापन किया जाता है।)
छठ व्रत कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाने के 6 दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष को मनाए जाने के कारण इसे छठ कहा जाता है।