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दुर्गा चालीसा पाठ

दुर्गा चालीसा पाठ

Masik Durgashtami 2025: दुर्गा चालीसा के पाठ के दौरान इन बातों का रखें ध्यान, जीवन होगा मंगलमय


धार्मिक मान्यता है कि मासिक दुर्गाष्टमी के दिन सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना और व्रत करने से जातक की हर मनोकामना पूरी होती है। इस दिन दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं। इस साल का पहला दुर्गा अष्टमी पंचांग के अनुसार, 07 जनवरी को मनाई जाएगी। इस शुभ तिथि पर मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसे में आप इस दिन पूजा के दौरान सच्चे मन से दुर्गा चालीसा के पाठ से देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन पाठ करते समय कई बातों का विशेष ध्यान में रखना चाहिए।



इन बातों का रखें ध्यान


शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखें


दुर्गा चालीसा का पाठ करते समय आपको शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि आप शारीरिक, मानसिक और वाचिक रूप से शुद्ध हों। सबसे अच्छा होगा यदि आप स्नान करके और स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा करें। इसके साथ ही पूजा स्थल भी साफ और स्वच्छ होना चाहिए।



सही समय और मुहूर्त का चुनाव करें


मासिक दुर्गाष्टमी पर दुर्गा चालीसा का पाठ सुबह या शाम के समय करें। बता दें कि सबसे उत्तम समय है अष्टमी तिथि के दिन दोपहर का समय। मुहूर्त का ध्यान रखते हुए पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पूजा का असर ज्यादा होता है। 



मन को एकाग्र करें


दुर्गा चालीसा का पाठ करते समय मन को एकाग्र रखना अति आवश्यक है। मन में कोई भी विकृति, नकारात्मकता या बुरे विचार न आएं, इसके लिए ध्यान केंद्रित करना जरूरी है। अगर मन भटक रहा हो तो “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का जाप करें, इससे मन को शांति मिलती है। 



मंत्रों का उच्चारण सही तरीके से करें


दुर्गा चालीसा का पाठ करते समय प्रत्येक मंत्र का उच्चारण ध्यानपूर्वक करें। अगर कोई शब्द गलत उच्चारित होता है तो उसका प्रभाव कम हो सकता है। इसलिए, अगर आप सही तरीके से मंत्रों का जाप नहीं कर पा रहे हैं तो पहले ध्यान लगाएं और फिर धीरे-धीरे सही उच्चारण के साथ पाठ करें।



प्रार्थना का भाव रखें


दुर्गा चालीसा का पाठ सिर्फ शब्दों का जाप नहीं है, बल्कि इस दौरान आध्यात्मिक भाव और भक्ति होना चाहिए। जब आप हर मंत्र का जाप करें, तो अपने हृदय में मां दुर्गा से प्रार्थना करें और अपने सभी कष्टों का निवारण करने की विनती करें। 



चालीसा के बाद मां दुर्गा की आरती


दुर्गा चालीसा का पाठ करने के बाद, मां दुर्गा की आरती का भी पाठ करें। इससे मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पूजा का समापन अच्छे तरीके से होता है।


दुर्गा चालीसा


।। दोहा।।


या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।।


।। चौपाई।।


नमो नमो दुर्गे सुख करनी।

नमो नमो अंबे दुःख हरनी।।


निराकार है ज्योति तुम्हारी ।

तिहूं लोक फैली उजियारी।।


शशि ललाट मुख महा विशाला।

नेत्र लाल भृकुटी विकराला ।।


रूप मातुको अधिक सुहावे।

दरश करत जन अति सुख पावे ।।


तुम संसार शक्ति मय कीना ।

पालन हेतु अन्न धन दीना ।।


अन्नपूरना हुई जग पाला ।

तुम ही आदि सुंदरी बाला ।।


प्रलयकाल सब नासन हारी।

तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ।।


शिव योगी तुम्हरे गुण गावैं।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावै।।


रूप सरस्वती को तुम धारा ।

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा।।


धरा रूप नरसिंह को अम्बा ।

परगट भई फाड़कर खम्बा ।।


रक्षा करि प्रहलाद बचायो ।

हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो ।।


लक्ष्मी रूप धरो जग माही।

श्री नारायण अंग समाहीं । ।


क्षीरसिंधु मे करत विलासा ।

दयासिंधु दीजै मन आसा ।।


हिंगलाज मे तुम्हीं भवानी।

महिमा अमित न जात बखानी ।।


दयासिंधु दीजै मन आसा ।।

हिंगलाज मे तुम्हीं भवानी।


महिमा अमित न जात बखानी ।।

मातंगी धूमावति माता।


भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ।।

श्री भैरव तारा जग तारिणी।


क्षिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ।।

केहरि वाहन सोहे भवानी।

करहु कृपा जगदम्ब भवानी ।।


।। दोहा।।


शरणागत रक्षा कर, भक्त रहे निःशंक ।

मैं आया तेरी शरण में, मातु लीजिए अंक।।


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श्री गिरिराज जी की आरती (Shri Giriraj Ji Ki Aarti)

ॐ जय जय जय गिरिराज,स्वामी जय जय जय गिरिराज।
संकट में तुम राखौ,निज भक्तन की लाज॥

आरती श्री वैष्णो देवी मां की (Aarti of Shri Vaishno Devi Maa Ki)

जय वैष्णवी माता,मैया जय वैष्णवी माता।
हाथ जोड़ तेरे आगे,आरती मैं गाता॥

आरती प्रेतराज की (Aarti Pretraj Ki)

दीन दुखिन के तुम रखवाले, संकट जग के काटन हारे।
बालाजी के सेवक जोधा, मन से नमन इन्हें कर लीजै।

आरती श्री पितर जी की (Aarti of Shri Pitar Ji Ki)

जय पितरजी महाराज, जय जय पितरजी महाराज।
शरण पड़यो हूँ थारी, राखो हमरी लाज॥

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