गोपाल गोकुल वल्लभी,
प्रिय गोप गोसुत वल्लभम,
भई प्रगट कुमारी
भूमि-विदारी
अवध बिहारी हो,
हम आए शरण तिहारी,
इतनी कथा सुनकर महाराज युधिष्ठिर ने भगवान् से कहा-प्रभो ! अब आप कृपा करके कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के माहात्म्य का वर्णन करिये। पाण्डुनन्दन की ऐसी वाणी सुन भगवान् कृष्ण ने कहा-हे राजन् !