श्री शिवरामाष्टकस्तोत्रम्

॥ श्री शिव-रामाष्टकस्तोत्रम् ॥


शिवहरे शिवराम सखे प्रभो, त्रिविधताप-निवारण हे विभो।


अज जनेश्वर यादव पाहि मां, शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥1॥

कमल लोचन राम दयानिधे, हर गुरो गजरक्षक गोपते।


शिवतनो भव शङ्कर पाहिमां, शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥2॥

स्वजनरञ्जन मंगलमन्दिरं, भजति ते पुरुष: परमं पदम्।


भवति तस्य सुखं परमाद्भुतं, शिवहरे विजयं कुरू मे वरम्॥3॥

जय युधिष्ठिर-वल्लभ भूपते, जय जयार्जित-पुण्यपयोनिधे।


जय कृपामय कृष्ण नमोऽस्तुते, शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥4॥

भवविमोचन माधव मापते, सुकवि-मानस हंस शिवारते।


जनक जारत राघव रक्षमां, शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥5॥

अवनि-मण्डल-मङ्गल मापते, जलद सुन्दर राम रमापते।


निगम-कीर्ति-गुणार्णव गोपते, शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥6॥

पतित-पावन-नाममयी लता, तव यशो विमलं परिगीयते।


तदपि माधव मां किमुपेक्षसे, शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥7॥

अमरता परदेव रमापते, विजयतस्तव नामधनोपमाम्।


मयि कथं करुणार्णव जायते, शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥8॥

हनुमतः प्रिय चाप कर प्रभो, सुरसरिद्-धृतशेखर हे गुरो।


मम विभो किमु विस्मरणं कृतं, शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥9॥

अहरहर्जन रञ्जन-सुन्दरं, पठति यः शिवरामकृत-स्तवम्।


विशति राम-रमा चरणाम्बुजे, शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥10॥

प्रातरुत्थाय यो भक्त्या, पठेदेकाग्रमानसः।


विजयो जायते तस्य, विष्णुमाराध्यमाप्नुयात्॥11॥

॥ इति श्रीरामानन्दस्वामिना विरचितं श्रीशिव-रामाष्टकं सम्पूर्णम् ॥

........................................................................................................
राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक(Radhe Krishna Ki Jyoti Alokik)

राधे कृष्ण की ज्योति अलोकिक,
तीनों लोक में छाये रही है ।

सांवरे को दिल में बसा के तो देखो(Sanware Ko Dil Me Basa Kar To Dekho)

कर्ता करे ना कर सके,
पर गुरु किए सब होये ।

ओ आए तेरे भवन

ओ, आए तेरे भवन, दे दे अपनी शरण
ओ, आए तेरे भवन, दे दे अपनी शरण

बोलो राम! मन में राम बसा ले (Bolo Ram Man Me Ram Basa Le Bhajan)

बोलो राम, जय जय राम, बोलो राम
जन्म सफल होगा बन्दे,

यह भी जाने