श्री रघुपति जी की वंदना (Shri Raghupati Ji Ki Vandana)

बन्दौं रघुपति करुना निधान, जाते छूटै भव-भेद ग्यान॥


रघुबन्स-कुमुद-सुखप्रद निसेस, सेवत पद-पन्कज अज-महेस॥


निज भक्त-हृदय पाथोज-भृन्ग, लावन्य बपुष अगनित अनन्ग॥


अति प्रबल मोह-तम-मारतण्ड, अग्यान-गहन- पावक-प्रचण्ड॥


अभिमान-सिन्धु-कुम्भज उदार, सुररन्जन, भन्जन भूमिभार॥


रागादि- सर्पगन पन्नगारि, कन्दर्प-नाग-मृगपति, मुरारि॥


भव-जलधि-पोत चरनारबिन्द, जानकी-रवन आनन्द कन्द॥


हनुमन्त प्रेम बापी मराल, निष्काम कामधुक गो दयाल॥


त्रैलोक-तिलक, गुनगहन राम, कह तुलसिदास बिश्राम-धाम॥


बोलिये राघवेंद्र सरकार की जय

........................................................................................................
तूने जीना सिखाया भोलेनाथ जी (Tune Jeena Sikhaya Bholenath Ji)

तुम्हे दिल में बसाया,
तुम्हे अपना बनाया,

मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री(Meri Chunri Mein Pad Gayo Dag Ri)

मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री,
कैसो चटक रंग डारो,

शरण में आये हैं हम तुम्हारी (Sharan Mein Aaye Hain Hum Tumhari)

शरण में आये हैं हम तुम्हारी,
दया करो हे दयालु भगवन ।

शिव शंकर भोलेनाथ, तेरा डमरू बाजे पर्वत पे (Shiv Shankar Bholenath Tera Damru Baje Parvat Pe)

शिव शंकर भोलेनाथ,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे,

यह भी जाने