बन्दौं रघुपति करुना निधान, जाते छूटै भव-भेद ग्यान॥
रघुबन्स-कुमुद-सुखप्रद निसेस, सेवत पद-पन्कज अज-महेस॥
निज भक्त-हृदय पाथोज-भृन्ग, लावन्य बपुष अगनित अनन्ग॥
अति प्रबल मोह-तम-मारतण्ड, अग्यान-गहन- पावक-प्रचण्ड॥
अभिमान-सिन्धु-कुम्भज उदार, सुररन्जन, भन्जन भूमिभार॥
रागादि- सर्पगन पन्नगारि, कन्दर्प-नाग-मृगपति, मुरारि॥
भव-जलधि-पोत चरनारबिन्द, जानकी-रवन आनन्द कन्द॥
हनुमन्त प्रेम बापी मराल, निष्काम कामधुक गो दयाल॥
त्रैलोक-तिलक, गुनगहन राम, कह तुलसिदास बिश्राम-धाम॥
बोलिये राघवेंद्र सरकार की जय
महाकुंभ की शुरुआत में अब 1 महीने का समय बचा है। लगभग सभी अखाड़े प्रयागराज भी पहुंच चुके हैं। लेकिन इन दिनों शैव संप्रदाय का एक अखाड़ा चर्चा में बना हुआ है।
अपने बचपन से ही हमने देखा है कि हमारे घरों में बड़े-बुजुर्गों को चरण स्पर्श करके प्रणाम करना कितना महत्वपूर्ण माना जाता था। उनके आशीर्वाद पाने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने 13 प्रमुख अखाड़ों को मान्यता दे रखी है। इन्हीं में से एक अखाड़ा है नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा। इस अखाड़े से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी जुड़े हुए है।
हिंदू धर्म के 13 प्रमुख अखाड़े अलग-अलग संप्रदायों में बंटे हुए है। इन्ही में से एक संप्रदाय है वैष्णव। वैष्णव संप्रदाय के साधु संत भगवान विष्णु और उनके अवतारों के उपासक होते हैं।