Logo

शनिवार की आरती

शनिवार की आरती

Shaniwar Ki Aarti: शनिवार के दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए करें ये आरती, घर में आती है खुशहाली

Shani Dev Aarti Lyrics: हिंदू धर्म में शनिवार का दिन न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित है। साथ ही, जीवन में चल रही परेशानियों और ग्रह दोषों को दूर करने के लिए इस दिन व्रत भी रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिवार के दिन शनिदेव की उपासना करने से शनि की साढ़ेसती और ढैय्या जैसी समस्याएं दूर होती हैं। ऐसे में अगर आप भी शनिदेव की कृपा पाना चाहते हैं तो शनिवार के दिन पूजा-पाठ के बाद इस आरती को जरूर पढ़ें। मान्यता है कि इससे पूजा सफल होती है और शनि की साढ़ेसती से मुक्ति मिलती है। ऐसे में आइए यहां पढ़िए शनिदेव की पूरी आरती...

शनि देव की आरती (Shani Dev Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi)

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
जय जय श्री शनि देव....

........................................................................................................
सीता नवमी की व्रत कथा

सीता नवमी वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो माता सीता के प्राकट्य के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं।

बगलामुखी जयंती 2025 कब है

बगलामुखी जयंती वैशाख शुक्ल अष्टमी को मनाई जाती है, जो देवी बगलामुखी को समर्पित है। वह दस महाविद्याओं में से आठवीं देवी हैं और श्री कुल से संबंधित हैं। देवी बगलामुखी को पीताम्बरा और ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है। उनकी साधना से स्तंभन की सिद्धि प्राप्त होती है और शत्रुओं को नियंत्रित किया जा सकता है।

मां बगलामुखी की कथा

देवी बगलामुखी 10 महाविद्याओं में से एक आठवीं महाविद्या हैं, जो पूर्ण जगत की निर्माता, नियंत्रक और संहारकर्ता हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन की अनेकों बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

परशुराम द्वादशी तिथि और मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, परशुराम द्वादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम को समर्पित हैI

HomeBook PoojaBook PoojaTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang