Logo

श्री रामायण जी की आरती (Shri Ramayan Ji Ki Aarti)

श्री रामायण जी की आरती (Shri Ramayan Ji Ki Aarti)

॥ श्री रामायणजी की आरती ॥

आरती श्री रामायण जी की,कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

गावत ब्राह्मादिक मुनि नारद, वाल्मीक विज्ञान विशारद।

शुक सनकादि शेष अरु शारद, बरनि पवनसुत कीरति नीकी॥

आरती श्री रामायण जी की....

गावत वेद पुरान अष्टदस, छओं शास्त्र सब ग्रन्थन को रस।

मुनि जन धन सन्तन को सरबस, सार अंश सम्मत सबही की॥

आरती श्री रामायण जी की....

गावत सन्तत शम्भू भवानी, अरु घट सम्भव मुनि विज्ञानी।

व्यास आदि कविबर्ज बखानी, कागभुषुण्डि गरुड़ के ही की॥

आरती श्री रामायण जी की....

कलिमल हरनि विषय रस फीकी, सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की।

दलन रोग भव मूरि अमी की, तात मात सब विधि तुलसी की॥

आरती श्री रामायण जी की,कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

बोलिये सियावर रामचंद्रजी की जय

........................................................................................................
होली क्यों मनाई जाती है

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाती है। इस दिन पूरा देश अबीर-गुलाल और रंग में सराबोर रहता है। हर कोई एक-दूसरे पर प्यार के रंग बरसाते हैं। होली के रंगों को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।

अन्वाधान व इष्टि क्या है

सनातन हिंदू धर्म में, अन्वाधान व इष्टि दो प्रमुख अनुष्ठान हैं। जिसमें भक्त अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया करते हैं। इसमें प्रार्थना व पूजा कुछ समय के लिए यानी छोटी अवधि के लिए ही की जाती है।

अन्वाधान कब है

फरवरी माह में प्रकृति में भी बदलाव आता है, मौसम में ठंडक कम होने लगती है। पेड़ों पर कोमल पत्ते आने लगते हैं। इस साल फरवरी में गुरु मार्गी होंगे और सूर्य, बुध भी राशि परिवर्तन करेंगा। इसलिए यह महीना बहुत खास रहने वाला है।

फरवरी 2025 में इष्टि कब है

इष्टि यज्ञ वैदिक काल के प्रमुख अनुष्ठानों में से एक है। संस्कृत में ‘इष्टि’ का अर्थ ‘प्राप्ति’ या ‘कामना’ होता है। यह यज्ञ विशेष रूप से मनोकामना पूर्ति और जीवन में समृद्धि लाने के उद्देश्य से किया जाता है।

यह भी जाने
HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang