आरती भगवान श्री खाटू श्याम जी की (Aarti Bhagwan Shri Khatu Shyam Ji Ki)

ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे ।

खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे॥

ॐ जय श्री श्याम हरे.....


रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे ।

तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे.....


गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे ।

खेवत धूप अग्नि पर, दीपक ज्योति जले ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे.....


मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे ।

सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे.....


झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे ।

भक्त आरती गावे, जय-जयकार करे ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे.....


जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे ।

सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम-श्याम उचरे ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे.....


श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे ।

जपत दयामय स्वामी, मनवांछित फल पावे ॥

ॐ जय श्री श्याम हरे.....


ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे ।

निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे ॥


ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे ।

खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे॥


हारे के सहारे बाबा खाटू श्याम की जय 

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मेरे भोले बाबा जटाधारी शम्भू (Mere Bhole Baba Jatadhari Shambhu)

मेरे भोले बाबा जटाधारी शम्भू,
हे नीलकंठ त्रिपुरारी हे शम्भू ॥

हनुमान जयंती दो बार क्यों मनाई जाती है?

हनुमान जी भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं। इसलिए, श्रीराम की पूजा में भी हनुमान जी का विशेष महत्व है। हनुमान जी को संकटमोचन भी कहा जाता है, क्योंकि वे अपने भक्तों के सभी दुःख और कष्ट हर लेते हैं।

विष्णुशयनी एकादशी एवं चातुर्मास व्रत (Vishnushayanee Ekaadashee Evan Chaaturmaas Vrat)

इस एकादशी का नाम विष्णुशयनी भी है। इसी दिन विष्णुजी का व्रत एवं चातुर्मास्य व्रत प्रारम्भ करना विष्णु पुराण से प्रकट होता है।

एकादशी व्रत का महत्व

सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। बता दें कि साल में कुल 24 एकदशी पड़ती हैं। हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है। ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं।