आरती प्रियाकांत जू की (Aarti Priyakant Ju Ki)

आरती प्रियाकांत जु की,

 आरती प्रियाकांत जु की , सुखाकर भक्त वृन्द हु की |

जगत में कीर्तिमयी माला , सुखी सुन सूजन गोपी ग्वाला | करो मत देर , दास रहे टेर , प्रभाकर मृतक भाव हू की || सुखाकर भक्त वृन्द हू की… आरती प्रियाकांत जु की ||1||

दरस ते बुझै द्रोह ज्वाला , जपे जन जुगल नाम माला | सखी सब संग , बन्ध भव भंग , दयानिधि नंद लाल हू की || सुखाकर भक्त वृन्द हू की… आरती प्रियाकांत जु की ||2||

मनोहर यमुना सुचि रेणु , वंशीवट बजत सौम्य वेणु | भृंग पिक वृन्द , ध्वनि अति मंद , सुधाकर भक्ति ज्ञान हू की || सुखाकर भक्त वृन्द हू की… आरती प्रियाकांत जु की ||3||

प्रभामय धाम शान्ति सेवा , भगत जन तरस रहे देवा | युगल छवि देख , मिटे दुःख रेख , भयापहः नेत्र दांत हू की || सुखाकर भक्त वृन्द हू की… आरती प्रियाकांत जु की ||4||

कमल मह राजत युग शोभा , निम्ब प्रभु हनुमत गण देवा | रहे सुख पाये , चरण चित लाय , देवकी नंद कांत हू की || सुखाकर भक्त वृन्द हू की… आरती प्रियाकांत जु की ||5|| 

आरती प्रियाकांत जु की । सुखाकर भक्त वृन्द हू की ||


भगवान प्रियाकांतजु की जय


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संसार का सारा सुख केवल, श्री राम तुम्हारे चरणों में(Sansar Ka Sara Sukh Keval Shree Ram Tumhare Charno Mein)

संसार का सारा सुख केवल,
श्री राम तुम्हारे चरणों में,

होली क्यों मनाई जाती है

फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाती है। इस दिन पूरा देश अबीर-गुलाल और रंग में सराबोर रहता है। हर कोई एक-दूसरे पर प्यार के रंग बरसाते हैं। होली के रंगों को प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है।

पापमोचनी एकादशी कब है?

पापमोचनी एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह एकादशी फाल्गुन और चैत्र मास के संधिकाल में आती है और इसे साल की अंतिम एकादशी भी माना जाता है।

आमलकी एकादशी कब मनाई जाएगी

पंचांग के अनुसार, हर महीने में दो एकादशी पड़ती हैं और साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं। इन सभी एकादशी तिथियों का विशेष महत्व होता है।