जय अहोई माता, मैया जय अहोई माता।
तुमको निसदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥
जय अहोई माता...
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला, तू ही है जगमाता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
जय अहोई माता...
माता रूप निरंजन, सुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, नित मंगल पाता॥
जय अहोई माता...
तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक, भवनिधि की त्राता॥
जय अहोई माता...
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
जय अहोई माता...
तुम बिन सुख न होवे, पुत्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
जय अहोई माता...
शुभ गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि जाता।
रत्न-चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
जय अहोई माता...
श्री अहोई माँ की आरती, जो कोई नर गाता।
उर उमंग अति उपजे, पाप उतर जाता॥
जय अहोई माता...
जय अहोई माता, मैया जय अहोई माता।
तुमको निसदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥
वैसे तो अहोई माता की आरती करने के लिए सभी दिन शुभ माने जाते हैं, लेकिन इन दिनों को विशेष माना जाता है-
इसके अलावा, आप अहोई माता की आरती किसी भी शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं, जैसे कि:
आरती करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। आरती के दौरान एकादशी माता की मूर्ति या चित्र के सामने बैठें और दीपक जलाएं। आरती के बाद, प्रसाद वितरित करें।
एक समय की बात है एक जंगल में एक साहूकार रहता था। उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वो जल चढ़ाती थी उस पर पर मां लक्ष्मी का वास था।
ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य
आज है जगराता माई का,
माँ को मना लेना,
आज मेरे श्याम की शादी है,
श्याम की शादी है,