आरती पुराण जी की (Aarti Puran Ji Ki)

आरती अतिपावन पुराण की,

धर्म भक्ति विज्ञान खान की,


महापुराण भागवत निर्मल,

शुक-मुख-विगलित निगम-कल्प-फल,

परमानन्द-सुधा रसमय फल,

लीला रति रस रसनिधान की,

आरती अति पावन पुराण की.......


कलिमल मथनि त्रिताप निवारिणी,

जन्म मृत्युमय भव भयहारिणी ,

सेवत सतत सकल सुखकारिणी,

महा-औषधि हरि चरित गान की,

आरती अति पावन पुराण की.......


विषय विलास विमोह विनाशिनी,

विमल विराग विवेक विकासिनी,

भागवत तत्व रहस्य प्रकाशिनी,

परम ज्योति परमात्मा ज्ञान की,

आरती अति पावन पुराण की.......


परमहंस मुनि मन उल्लासिनी,

रसिक ह्रदय रस रास-विलासिनी,

भुक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनी,

कथा अकिंचन-प्रिय सुजान की,

आरती अति पावन पुराण की.......


बोलिये श्रीभागवत पुराण की जय

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श्री गोरखनाथ चालीसा (Shri Gorakhnath Chalisa)

गणपति गिरजा पुत्र को । सुमिरूँ बारम्बार ।
हाथ जोड़ बिनती करूँ । शारद नाम आधार ॥

आरती प्रेतराज की (Aarti Pretraj Ki)

दीन दुखिन के तुम रखवाले, संकट जग के काटन हारे।
बालाजी के सेवक जोधा, मन से नमन इन्हें कर लीजै।

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भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी का प्रेम संसार में प्रसिद्द है। दुनिया भर के मंदिरों में जहां भी श्री कृष्ण विराजमान हैं, वहां राधा रानी भी उनके साथ विराजती है।

रक्षा बंधन (Raksha Bandhan)

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