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आरती पुराण जी की (Aarti Puran Ji Ki)

आरती पुराण जी की (Aarti Puran Ji Ki)

आरती अतिपावन पुराण की,

धर्म भक्ति विज्ञान खान की,


महापुराण भागवत निर्मल,

शुक-मुख-विगलित निगम-कल्प-फल,

परमानन्द-सुधा रसमय फल,

लीला रति रस रसनिधान की,

आरती अति पावन पुराण की.......


कलिमल मथनि त्रिताप निवारिणी,

जन्म मृत्युमय भव भयहारिणी ,

सेवत सतत सकल सुखकारिणी,

महा-औषधि हरि चरित गान की,

आरती अति पावन पुराण की.......


विषय विलास विमोह विनाशिनी,

विमल विराग विवेक विकासिनी,

भागवत तत्व रहस्य प्रकाशिनी,

परम ज्योति परमात्मा ज्ञान की,

आरती अति पावन पुराण की.......


परमहंस मुनि मन उल्लासिनी,

रसिक ह्रदय रस रास-विलासिनी,

भुक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनी,

कथा अकिंचन-प्रिय सुजान की,

आरती अति पावन पुराण की.......


बोलिये श्रीभागवत पुराण की जय

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शनिवार को कष्ट कटे, मंगल हो मंगलवार(Saniwar Ko Kasht Kate Mangal Ho Mangalwar)

आ जाओ और किरपा पा लो,
हफ्ते में दो बार,

संकट हरलो मंगल करदो, प्यारे शिव गौरा के लाल(Sankat Harlo Mangal Kardo Pyare Shiv Gaura Ke Lal)

संकट हरलो मंगल करदो,
प्यारे शिव गौरा के लाल,

संकट हरनी मंगल करनी, कर दो बेडा पार(Sankat Harni Mangal Karni Kardo Beda Paar)

संकट हरनी मंगल करनी,
कर दो बेडा पार,

संकट के साथी को हनुमान कहते हैं(Sankat Ke Sathi Ko Hanuman Kahate Hain)

दुनिया के मालिक को भगवान कहते हैं
संकट के साथी को हनुमान कहते हैं॥

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