Logo

शुक्रवार की आरती

शुक्रवार की आरती

Shukrawar ki aarti: शुक्रवार के दिन इस आरती को करने से शीघ्र प्रसन्न होंगी मां लक्ष्मी-संतोषी माता, मिलेगा धन, वैभव और समृद्धि का आशीर्वाद 

Shukrawar Ki Aarti: हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, किसी भी पूजा का समापन आरती और मंत्र जाप के साथ ही करना चाहिए। क्योंकि इसके बिना पूजा अधूरा माना जाता है। दरअसल, आरती का अर्थ पूरी तरह से ईश्वर की भक्ति में डूब जाना होता है। बता दें कि सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता के पूजा के लिए समर्पित है। ठीक है ऐसे ही शुक्रवार का दिन मां लक्ष्मी और संतोषी माता को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि अगर किसी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर है तो उसे इस दिन पूजा के बाद आरती करनी चाहिए। मान्यता है कि इससे देवी प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। ऐसे में आइए पढ़ते हैं यहां सम्पूर्ण मां लक्ष्मी और संतोषी माता की पूरी आरती...

लक्ष्मी जी की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti)

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुम को निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता….
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
दुर्गा रूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
जिस घर तुम रहती सब सद्गुण आता
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता…।।

संतोषी माता की आरती (Jai Santoshi Mata Aarti)

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन की सुख सम्पति दाता ।।
जय संतोषी माता….
सुन्दर चीर सुनहरी मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके तन श्रृंगार लीन्हो ।।
जय संतोषी माता…
गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करुणामयी त्रिभुवन जन मोहे ।।
जय संतोषी माता….
स्वर्ण सिंहासन बैठी चंवर दुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधु, मेवा, भोज धरे न्यारे।।
जय संतोषी माता….
गुड़ अरु चना परम प्रिय ता में संतोष कियो।
संतोषी कहलाई भक्तन वैभव दियो।।
जय संतोषी माता….
शुक्रवार प्रिय मानत आज दिवस सोही।
भक्त मंडली छाई कथा सुनत मोही।।
जय संतोषी माता….
मंदिर जग मग ज्योति मंगल ध्वनि छाई।
बिनय करें हम सेवक चरनन सिर नाई।।
जय संतोषी माता….
भक्ति भावमय पूजा अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे इच्छित फल दीजै।।
जय संतोषी माता….
दुखी दारिद्री रोगी संकट मुक्त किए।
बहु धन धान्य भरे घर सुख सौभाग्य दिए।।
जय संतोषी माता….
ध्यान धरे जो तेरा वांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर घर आनन्द आयो।।
जय संतोषी माता….
चरण गहे की लज्जा रखियो जगदम्बे।
संकट तू ही निवारे दयामयी अम्बे।।
जय संतोषी माता….
सन्तोषी माता की आरती जो कोई जन गावे।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति जी भर के पावे।।
जय संतोषी माता….

........................................................................................................
HomeBook PoojaBook PoojaTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang