ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन।
हरण दुख द्वन्द, गोविन्द आनन्दघन॥
ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन...
अचर चर रुप हरि, सर्वगत, सर्वदा
बसत, इति बासना धूप दीजै।
दीप निजबोधगत कोह-मद-मोह-तम
प्रौढ़ अभिमान चित्तवृत्ति छीजै॥
ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन...
भाव अतिशय विशद प्रवर नैवेद्य शुभ
श्रीरमण परम सन्तोषकारी।
प्रेम-ताम्बूल गत शूल सन्शय सकल,
विपुल भव-बासना-बीजहारी॥
ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन...
अशुभ-शुभ कर्म घृतपूर्ण दशवर्तिका,
त्याग पावक, सतोगुण प्रकासं।
भक्ति-वैराग्य-विज्ञान दीपावली,
अर्पि नीराजनं जगनिवासं॥
ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन...
बिमल हृदि-भवन कृत शान्ति-पर्यंक शुभ,
शयन विश्राम श्रीरामराया।
क्षमा-करुणा प्रमुख तत्र परिचारिका,
यत्र हरि तत्र नहिंभेद-माया॥
ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन...
आरती-निरत सनकादि, श्रुति, शेष, शिव,
देवरिषि, अखिलमुनि तत्त्व-दरसी।
करै सोइ तरै, परिहरै कामादि मल,
वदति इति अमलमति दास तुलसी॥
ऐसी आरती राम रघुबीर की करहि मन...
बोलिये श्रीरामचन्द्रजी की जय
नए साल 2025 की शुरुआत होने वाली है और हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है जो साधक की हर मनोकामना पूरी करने और पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति करने में मदद करता है।
उपनयन संस्कार, जिसे जनेऊ संस्कार के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से 10वां संस्कार है। यह संस्कार पुरुषों में जनेऊ धारण करने की पारंपरिक प्रथा को दर्शाता है, जो सदियों से चली आ रही है।
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हिंदू धर्म में विवाह को एक पवित्र संस्कार माना जाता है जो दो लोगों के साथ-साथ दो परिवारों को भी जोड़ता है। वैदिक शास्त्रों में कहा गया है कि शादी एक पवित्र रिश्ता है और इसे हमेशा शुभ समय पर किया जाना चाहिए। विवाह के लिए शुभ समय और तारीख का निर्धारण करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है।