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आरती भगवान श्री रघुवरजी की (Aarti Bhagwan Shri Raghuvar Ji Ki)

आरती भगवान श्री रघुवरजी की (Aarti Bhagwan Shri Raghuvar Ji Ki)

आरती कीजै श्री रघुवर जी की, सत् चित् आनन्द शिव सुन्दर की।


दशरथ तनय कौशल्या नन्दन, सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन।

अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन, मर्यादा पुरुषोतम वर की।

आरती कीजै श्री रघुवर जी की...


निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि, सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि।

हरण शोक-भय, दायक नव निधि, माया रहित दिव्य नर वर की।

आरती कीजै श्री रघुवर जी की...


जानकी पति सुर अधिपति जगपति, अखिल लोक पालक त्रिलोक गति।

विश्व वन्द्य अवन्ह अमित गति, एक मात्र गति सचराचर की।

आरती कीजै श्री रघुवर जी की...


शरणागत वत्सल व्रतधारी, भक्त कल्प तरुवर असुरारी।

नाम लेत जग पावनकारी, वानर सखा दीन दुख हर की।

आरती कीजै श्री रघुवर जी की...


कौशल्यानंदन, दशरथतनय, जानकीवल्लभ भगवान श्रीरामचंद्रजी की जय   

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घर पर कैसे करें पितरों की पूजा

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में मनाए जाने वाले श्राद्ध को पितृ पक्ष कहते हैं। इस दौरान पूर्वजों का श्राद्ध उनकी तिथि के अनुसार श्रद्धा भाव से विधि-विधानपूर्वक किया जाता है।

शबरी जयंती पर इन चीजों का लगाएं भोग

सनातन धर्म में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर शबरी जयंती मनाई जाती है। इस दिन व्रत और पूजन का विधान है। इस दिन भगवान राम के साथ माता शबरी का पूजन किया जाता है।

भगवान राम और माता शबरी की भेंट

माता शबरी रामायण की एक महत्वपूर्ण पात्र हैं, जिन्होंने भगवान राम की भक्ति में अपना जीवन समर्पित किया था। शबरी ने भगवान राम और माता सीता की प्रतीक्षा में वर्षों तक वन में निवास किया था।

दशहरा-विजयादशमी की पौराणिक कथा

शारदीय नवरात्र के बाद 10वें दिन दशहरे का त्योहार देश भर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को माता दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था और भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था।

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