॥ भगवान गिरिधारी आरती ॥
जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय जय गिरधारी।
दानव-दल बलिहारी, गो-द्विज हित कारी॥
प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....
जय गोविन्द दयानिधि, गोवर्धन धारी।
वंशीधर बनवारी, ब्रज जन प्रियकारी॥
प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....
गणिका गीध अजामिल, गजपति भयहारी।
आरत-आरति हारी, जय मंगल कारी॥
प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....
गोपालक गोपेश्वर, द्रौपदी दुखदारी।
शबर-सुता सुखकारी, गौतम-तिय तारी॥
प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....
जन प्रहलाद प्रमोदक, नरहरि तनु धारी।
जन मन रंजनकारी, दिति-सुत संहारी॥
प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....
टिट्टिभ सुत संरक्षक, रक्षक मंझारी।
पाण्डु सुवन शुभकरी, कौरव मद हारी॥
प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....
मन्मथ - मन्मथ मोहन, मुरली-रव कारी।
वृन्दाविपिन बिहारी, यमुना तट चारी॥
प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....
अघ-बक-बकी उधारक, तृणावर्त तारी।
विधि-सुरपति मदहारी, कंस मुक्तिकारी॥
प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....
शेष, महेश, सरस्वती, गुण गावत हारी।
कल कीरति विस्तारी, भक्त भीति हारी॥
प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....
‘नारायण’ शरणागत, अति अघ अघहारी।
पद-रज पावनकारी चाहत चितहारी॥
प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....
बोलिये गोवर्धन गिरधारी की जय
जया एकादशी का दिन बहुत ही पावन माना जाता है। इस साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 08 फरवरी को मनाई जाएगी।
सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है। माघ मास की जया एकादशी जल्द ही आने वाली है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति को विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
प्रत्येक महीने में एकादशी दो बार आती है—एक बार कृष्ण पक्ष में और दूसरी बार शुक्ल पक्ष में। कृष्ण पक्ष की एकादशी पूर्णिमा के बाद आती है, जबकि शुक्ल पक्ष की एकादशी अमावस्या के बाद आती है।
माघ मास में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भीष्म द्वादशी कहते हैं। इसे तिल द्वादशी भी कहते हैं। भीष्म द्वादशी को माघ शुक्ल द्वादशी नाम से भी जाना जाता है।