आरती भगवान गिरिधारी जी की ( Aarti Bhagwan Giridhari Ji Ki)

 ॥ भगवान गिरिधारी आरती ॥

जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय जय गिरधारी।

दानव-दल बलिहारी, गो-द्विज हित कारी॥

प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....


जय गोविन्द दयानिधि, गोवर्धन धारी।

वंशीधर बनवारी, ब्रज जन प्रियकारी॥

प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....


गणिका गीध अजामिल, गजपति भयहारी।

आरत-आरति हारी, जय मंगल कारी॥

प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....


गोपालक गोपेश्वर, द्रौपदी दुखदारी।

शबर-सुता सुखकारी, गौतम-तिय तारी॥

प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....


जन प्रहलाद प्रमोदक, नरहरि तनु धारी।

जन मन रंजनकारी, दिति-सुत संहारी॥

प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....


टिट्टिभ सुत संरक्षक, रक्षक मंझारी।

पाण्डु सुवन शुभकरी, कौरव मद हारी॥

प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....


मन्मथ - मन्मथ मोहन, मुरली-रव कारी।

वृन्दाविपिन बिहारी, यमुना तट चारी॥

प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....


अघ-बक-बकी उधारक, तृणावर्त तारी।

विधि-सुरपति मदहारी, कंस मुक्तिकारी॥

प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....


शेष, महेश, सरस्वती, गुण गावत हारी।

कल कीरति विस्तारी, भक्त भीति हारी॥

प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....


‘नारायण’ शरणागत, अति अघ अघहारी।

पद-रज पावनकारी चाहत चितहारी॥

प्रभु जय श्री कृष्ण हरे.....


बोलिये गोवर्धन गिरधारी की जय


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तेरे चरण कमल में श्याम(Tere Charan Kamal Mein Shyam)

तेरे चरण कमल में श्याम,
लिपट जाऊ राज बनके ।

बसंत पंचमी क्या दान करें

बसंत पंचमी का पर्व ज्ञान, विद्या और समृद्धि का प्रतीक है। यह दिन पूरी तरह से माता सरस्वती को समर्पित है, और इस दिन उनकी पूजा का विधान है।

बजरंग के आते आते कही भोर हो न जाये रे (Bajrang Ke Aate 2 Kahin Bhor Ho Na Jaye Re)

बजरंग के आते आते,
कही भोर हो न जाये रे,

आरती श्रीमद भगवद गीता की (Aarti Shrimad Bhagavad Geeta Ki)

जय भगवद् गीते, माता जय भगवद् गीते।
हरि हिय कमल विहारिणि, सुन्दर सुपुनीते॥