ॐ जय छठी माता,
मैया जय छठी माता, तुम संतन हितकारी, टूटे न ये नाता।।
ॐ जय छठी माता कार्तिक षष्ठी को मैया,
व्रत तेरा आता, निर्जला व्रत जो रखता, फल उत्तम पाता।।
ॐ जय छठी माता चतुर्थी के दिन पावन, नहाय खाय आता,
बाद दिवस जो आये, खरना कहलाता।।
ॐ जय छठी माता ठेकुआ, नारियल, फल से सूप भरा जाता,
डलिया माथे सजाके, घाट पे जग जाता।।
ॐ जय छठी माता संध्या को जल में खड़े हो,
अर्घ्य दिया जाता, प्रात अर्घ्य से छठ व्रत, संपन्न हो जाता।।
ॐ जय छठी माता छठी मैया की आरती जो कोई नर गाता,
मैया जो कोई जन गाता, दुःख दारिद्रय हैं मिटते, संकट टल जाता।।
ॐ जय छठी माता ॐ जय छठी माता, जय जय छठी माता,
तुम संतन हितकारी, टूटे न ये नाता।।
बोलिये छठी मैया की जय
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। इस दिन तंत्र-मंत्र के देवता काल भैरव की पूजा की जाती है, जो भगवान शिव के रौद्र रूप हैं।
काशी के राजा भगवान विश्वनाथ और कोतवाल भगवान काल भैरव की जोड़ी हिंदू पौराणिक कथाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
शास्त्रों में भगवान काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान कालभैरव की पूजा-अर्चना करने से बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
प्रथम वंदनीय गणेशजी को समर्पित मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना का विशेष महत्व है।