आरती छठ मईया जी की (Aarti Chhath Maiya Ji Ki)

 छठ मईया की आरती

ॐ जय छठी माता, मैया जय छठी माता, तुम संतन हितकारी, टूटे न ये नाता।। ॐ जय छठी माता कार्तिक षष्ठी को मैया, व्रत तेरा आता, निर्जला व्रत जो रखता, फल उत्तम पाता।। ॐ जय छठी माता चतुर्थी के दिन पावन, नहाय खाय आता, बाद दिवस जो आये, खरना कहलाता।। ॐ जय छठी माता ठेकुआ, नारियल, फल से सूप भरा जाता, डलिया माथे सजाके, घाट पे जग जाता।। ॐ जय छठी माता संध्या को जल में खड़े हो, अर्घ्य दिया जाता, प्रात अर्घ्य से छठ व्रत, संपन्न हो जाता।। ॐ जय छठी माता छठी मैया की आरती जो कोई नर गाता, मैया जो कोई जन गाता, दुःख दारिद्रय हैं मिटते, संकट टल जाता।। ॐ जय छठी माता ॐ जय छठी माता, जय जय छठी माता, तुम संतन हितकारी, टूटे न ये नाता।। बोलिये छठी मैया की जय

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श्री गिरिराज जी की आरती (Shri Giriraj Ji Ki Aarti)

ॐ जय जय जय गिरिराज,स्वामी जय जय जय गिरिराज।
संकट में तुम राखौ,निज भक्तन की लाज॥

श्री बृहस्पतिवार/गुरुवार की व्रत कथा (Shri Brispatvaar /Guruvaar Ki Vrat Katha

भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह नित्य गरीबों और ब्राह्मणों की सहायता करता था।

आरती भगवान गिरिधारी जी की ( Aarti Bhagwan Giridhari Ji Ki)

जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय जय गिरधारी।
दानव-दल बलिहारी, गो-द्विज हित कारी॥

दुर्गा माता कथा (Durga Mata Katha)

एक समय बृहस्पति जी ब्रह्माजी से बोले- हे ब्रह्मन श्रेष्ठ! चौत्र व आश्विन मास के शुक्लपक्ष में नवरात्र का व्रत और उत्सव क्यों किया जाता है?