नवीनतम लेख

आरती ललिता माता की (Aarti Lalita Mata Ki)

जय शरणं वरणं नमो नमः

जय शरणं वरणं नमो नमः

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी।

राजेश्वरी जय नमो नमः॥

जय शरणं वरणं नमो नमः.....


करुणामयी सकल अघ हारिणी।

अमृत वर्षिणी नमो नमः॥

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी॥

राजेश्वरी जय नमो नमः॥

जय शरणं वरणं नमो नमः.....


अशुभ विनाशिनी, सब सुख दायिनी।

खल-दल नाशिनी नमो नमः॥

भण्डासुर वधकारिणी जय माँ।

करुणा कलिते नमो नम:॥

जय शरणं वरणं नमो नमः.....


भव भय हारिणी, कष्ट निवारिणी।

शरणागति दो नमो नमः॥

शिव भामिनी साधक मन हारिणी।

आदि शक्ति जय नमो नमः॥

जय शरणं वरणं नमो नमः।


जय त्रिपुर सुन्दरी नमो नमः।

जय राजेश्वरी जय नमो नमः॥

जय ललितेश्वरी जय नमो नमः।

जय अमृतवर्षिणी नमो नमः॥

जय शरणं वरणं नमो नमः।


श्री ललिता माता की जय

........................................................................................................
श्री रघुपति जी की वंदना (Shri Raghupati Ji Ki Vandana)

बन्दौं रघुपति करुना निधान, जाते छूटै भव-भेद ग्यान॥
रघुबन्स-कुमुद-सुखप्रद निसेस, सेवत पद-पन्कज अज-महेस॥

श्री पितृ चालीसा (Shri Pitra Chalisa)

हे पितरेश्वर नमन आपको, दे दो आशीर्वाद,
चरणाशीश नवा दियो रख दो सिर पर हाथ।

फाल्गुन शुक्ल आमलकी नाम एकादशी व्रत (Falgun Shukal Aamlaki Naam Ekadashi Vrat)

एक समय अयोध्या नरेश महाराज मान्धाता ने प अपने कुल गुरु महर्षि वसिष्ठ जी से पूछा-भगवन् ! कोई अत्यन्त उत्तम और अनुपम फल देने वाले व्रत के इतिहास का वर्णन कीजिए, जिसके सुनने से मेरा कल्याण हो।

प्रदोष व्रत की कथा (Pradosh Vrat Ki Katha )

प्राचीनकाल में एक गरीब पुजारी हुआ करता था। उस पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने भरण-पोषण के लिए पुत्र को साथ लेकर भीख मांगती हुई शाम तक घर वापस आती थी।