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आरति श्रीवृषभानुलली की, सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥
भयभन्जिनि भवसागर-तारिणी, पाप-ताप-कलि-कलुष-निवारिणी,
दिव्यधाम गोलोक-विहारिणी, जनपालिनी जगजननी भली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की....
अखिल विश्व आनन्द विधायिनी, मंगलमयी सुमंगलदायिनी,
नंद नंदन पदप्रेम प्रदायिनी,अमिय राग रस रंग-रली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की....
नित्यानंदमयी आहादिनी, आनन्दघन आनन्द प्रसाधिनी,
रसमयी, रसमय मन उन्मादिनी, सरस कमलिनी कृष्ण-अली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की....
नित्य निकुन्जेश्वरी राजेश्वरी,परम प्रेमरूपा परमेश्वरी,
गोपिगणाश्रयी गोपिजनेश्वरी, विमल विचित्र भाव अवली की॥
आरति श्रीवृषभानुलली की....
आरति श्रीवृषभानुलली की, सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥
बोलिये वृषभानु की दुलारी मैया राधा प्यारी की जय
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