आरती श्री वृषभानुलली जी की (Aarti Shri Vrishabhanulli Ji Ki)

आरति श्रीवृषभानुलली की, सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥


भयभन्जिनि भवसागर-तारिणी, पाप-ताप-कलि-कलुष-निवारिणी,

दिव्यधाम गोलोक-विहारिणी, जनपालिनी जगजननी भली की॥

आरति श्रीवृषभानुलली की....

 

अखिल विश्व आनन्द विधायिनी, मंगलमयी सुमंगलदायिनी,

नंद नंदन पदप्रेम प्रदायिनी,अमिय राग रस रंग-रली की॥

आरति श्रीवृषभानुलली की....


नित्यानंदमयी आहादिनी, आनन्दघन आनन्द प्रसाधिनी,

रसमयी, रसमय मन उन्मादिनी, सरस कमलिनी कृष्ण-अली की॥

आरति श्रीवृषभानुलली की....

 

नित्य निकुन्जेश्वरी राजेश्वरी,परम प्रेमरूपा परमेश्वरी,

गोपिगणाश्रयी गोपिजनेश्वरी, विमल विचित्र भाव अवली की॥

आरति श्रीवृषभानुलली की....


आरति श्रीवृषभानुलली की, सत-चित-आनन्द कन्द-कली की॥


बोलिये वृषभानु की दुलारी मैया राधा प्यारी की जय

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आरती भगवान श्री रघुवरजी की (Aarti Bhagwan Shri Raghuvar Ji Ki)

आरती कीजै श्री रघुवर जी की, सत् चित् आनन्द शिव सुन्दर की।
दशरथ तनय कौशल्या नन्दन, सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन।

श्री राधाजी की आरती (Shri Radhaji Ki Aarti)

आरती श्री वृषभानुसुता की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेक विराग विकासिनि।

मां अम्बे गौरी जी की आरती ( Maa Ambe Gauri Ji Ki Aarti)

जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥

श्री भैरव चालीसा ( Shri Bhairav ​​Chalisa)

श्री गणपति गुरु गौरी पद, प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वंदन करो, श्री शिव भैरवनाथ ॥