Logo

Shri Guru Gorakhnath Chalisa (श्री गोरखनाथ चालीसा)

Shri Guru Gorakhnath Chalisa (श्री गोरखनाथ चालीसा)

श्री गोरखनाथ चालीसा की रचना और महत्त्व


गोरखनाथ चालीसा का पाठ करने से बाबा गोरखनाथ बहुत प्रसन्न होते हैं। गोरखनाथ चालीसा में बाबा गोरखनाथ का वर्णन किया गया है। इस चालीसा के अनुसार जो भी इसका 12 बार पाठ करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। गुरु गोरखनाथ जी का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि और वार मंगलवार को हुआ था, इसलिए मंगलवार का दिन गोरखनाथ चालीसा के पाठ के लिए बेहद शुभ फलदायी माना जाता है। इस चालीसा का पाठ करने के कई लाभ है, जैसे...

-१) सिद्धि बढ़ती है।

२) भूत-पिशाच निकट नहीं आते।

३) ज्ञान और बुद्धि बढ़ती है।

४) शत्रुओं का नाश होता है।


॥ दोहा ॥

गणपति गिरजा पुत्र को । सुमिरूँ बारम्बार ।
हाथ जोड़ बिनती करूँ । शारद नाम आधार ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय गोरख नाथ अविनासी । कृपा करो गुरु देव प्रकाशी ॥१॥
जय जय जय गोरख गुण ज्ञानी । इच्छा रुप योगी वरदानी ॥२॥
अलख निरंजन तुम्हरो नामा । सदा करो भक्तन हित कामा ॥३॥
नाम तुम्हारा जो कोई गावे । जन्म जन्म के दुःख मिट जावे ॥४॥

जो कोई गोरख नाम सुनावे । भूत पिसाच निकट नहीं आवे ॥५॥
ज्ञान तुम्हारा योग से पावे । रुप तुम्हारा लख्या न जावे ॥६॥
निराकर तुम हो निर्वाणी । महिमा तुम्हारी वेद न जानी ॥७॥
घट घट के तुम अन्तर्यामी । सिद्ध चौरासी करे प्रणामी ॥८॥

भस्म अंग गल नाद विराजे । जटा शीश अति सुन्दर साजे ॥९॥
तुम बिन देव और नहीं दूजा । देव मुनि जन करते पूजा ॥१०॥
चिदानन्द सन्तन हितकारी । मंगल करुण अमंगल हारी ॥११॥
पूर्ण ब्रह्म सकल घट वासी । गोरख नाथ सकल प्रकाशी ॥१२॥

गोरख गोरख जो कोई ध्यावे । ब्रह्म रुप के दर्शन पावे ॥१३॥
शंकर रुप धर डमरु बाजे । कानन कुण्डल सुन्दर साजे ॥१४॥
नित्यानन्द है नाम तुम्हारा । असुर मार भक्तन रखवारा ॥१५॥
अति विशाल है रुप तुम्हारा । सुर नर मुनि पावै न पारा ॥१६॥

दीन बन्धु दीनन हितकारी । हरो पाप हम शरण तुम्हारी ॥१७॥
योग युक्ति में हो प्रकाशा । सदा करो संतन तन वासा ॥१८॥
प्रातःकाल ले नाम तुम्हारा । सिद्धि बढ़ै अरु योग प्रचारा ॥१९॥
हठ हठ हठ गोरक्ष हठीले । मार मार वैरी के कीले ॥२०॥

चल चल चल गोरख विकराला । दुश्मन मार करो बेहाला ॥२१॥
जय जय जय गोरख अविनासी । अपने जन की हरो चौरासी॥२२॥
अचल अगम है गोरख योगी । सिद्धि देवो हरो रस भोगी ॥२३॥
काटो मार्ग यम को तुम आई । तुम बिन मेरा कौन सहाई ॥२४॥

अजर-अमर है तुम्हारी देहा । सनकादिक सब जोरहिं नेहा ॥२५॥
कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा । है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥२६॥
योगी लखे तुम्हारी माया । पार ब्रह्मा से ध्यान लगाया ॥२७॥
ध्यान तुम्हारा जो कोई लावे । अष्टसिद्धि नव निधि घर पावे ॥२८॥

शिव गोरख है नाम तुम्हारा । पापी दुष्ट अधम को तारा ॥२९॥
अगम अगोचर निर्भय नाथा । सदा रहो सन्तन के साथा ॥३०॥
शंकर रूप अवतार तुम्हारा । गोपीचन्द्र भरथरी को तारा ॥३१॥
सुन लीजो प्रभु अरज हमारी । कृपासिन्धु योगी ब्रह्मचारी ॥३२॥

पूर्ण आस दास की कीजे । सेवक जान ज्ञान को दीजे ॥३३॥
पतित पावन अधम अधारा । तिनके हेतु तुम लेत अवतारा ॥३४॥
अलख निरंजन नाम तुम्हारा । अगम पन्थ जिन योग प्रचारा ॥३५॥
जय जय जय गोरख भगवाना । सदा करो भक्तन कल्याना ॥३६॥

जय जय जय गोरख अविनासी । सेवा करै सिद्ध चौरासी ॥३७॥
जो ये पढ़हि गोरख चालीसा । होय सिद्ध साक्षी जगदीशा ॥३८॥
हाथ जोड़कर ध्यान लगावे । और श्रद्धा से भेंट चढ़ावे ॥३९॥
बारह पाठ पढ़ै नित जोई । मनोकामना पूर्ण होइ ॥४०॥

॥ दोहा ॥

सुने सुनावे प्रेम वश । पूजे अपने हाथ ।
मन इच्छा सब कामना । पूरे गोरखनाथ ॥
अगम अगोचर नाथ तुम । पारब्रह्म अवतार ।
कानन कुण्डल सिर जटा । अंग विभूति अपार ॥
सिद्ध पुरुष योगेश्वरो । दो मुझको उपदेश ।
हर समय सेवा करुँ । सुबह शाम आदेश ॥
........................................................................................................
Chali Ja Rahi Hai Umar Dheere Dheere Lyrics (चली जा रही है उमर धीरे धीरे)

चली जा रही है उमर धीरे धीरे,
पल पल यूँ आठों पहर धीरे धीरे,

भजमन शंकर भोलेनाथ - भजन (Bhajman Shankar Bholenath)

भजमन शंकर भोलेनाथ,
डमरू मधुर बजाने वाले,

यह भी जाने
HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang