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पूजा विधि

हनुमान जयंती पूजा विधि
हनुमान जयंती पूजा विधि
हनुमान जयंती हर साल चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह दिन भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
सुंदरकांड पाठ की विधि
सुंदरकांड पाठ की विधि
हिंदू धर्म में भगवान हनुमान को संकटमोचन, बल-बुद्धि-विधाता और रामभक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि जिनके जीवन में दुःख, भय या बाधाएं लगातार बनी रहती हैं, उनके लिए हनुमानजी की शरण सबसे बड़ा सहारा है।
हनुमान जयंती मुहूर्त और पूजा-विधि
हनुमान जयंती मुहूर्त और पूजा-विधि
हनुमान जी का जन्मोत्सव हर वर्ष चैत्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। उनकी कृपा से व्यक्ति को सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। अभिजीत मुहूर्त में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
शादी की सालगिरह पूजा
शादी की सालगिरह पूजा
शादी की सालगिरह सिर्फ एक तारीख नहीं होती, यह जीवन के उस पवित्र रिश्ते की याद दिलाती है, जिसमें दो आत्माएं साथ चलने का संकल्प लेती हैं। जैसे-जैसे साल दर साल यह बंधन मजबूत होता जाता है, वैसे-वैसे इस दिन का आध्यात्मिक महत्व भी बढ़ जाता है।
जन्मदिन पूजा विधि
जन्मदिन पूजा विधि
हर इंसान के लिए उसका जन्मदिन बेहद खास होता है। आमतौर पर यह दिन केक काटने, मोमबत्तियां बुझाने और पार्टी करने में बीत जाता है। लेकिन हिंदू संस्कृति में यह दिन सिर्फ उत्सव नहीं, एक आध्यात्मिक अवसर होता हैI
यात्रा आरंभ विधि और उपाय
यात्रा आरंभ विधि और उपाय
किसी भी यात्रा को सफल और मंगलकारी बनाना केवल योजना या तैयारी पर ही निर्भर नहीं करता, बल्कि ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ आवश्यक उपाय अपनाने से भी यात्रा निर्विघ्न और सुखद बनती है।
नशा मुक्ति पूजा विधि
नशा मुक्ति पूजा विधि
नशा एक ऐसा बंधन है, जो धीरे-धीरे व्यक्ति की सोच, शरीर और आत्मा को कमजोर करता है। शराब, सिगरेट, गुटखा या अन्य प्रकार के नशे की लत से छुटकारा पाना केवल शारीरिक प्रयासों से संभव नहीं होता, बल्कि इसके लिए आत्मिक शक्ति और मानसिक दृढ़ता की भी आवश्यकता होती है।
शिक्षक दिवस पूजा विधि
शिक्षक दिवस पूजा विधि
हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारत के दूसरे राष्ट्रपति और महान दार्शनिक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के उपलक्ष्य में समर्पित है।
गर्भ संस्कार विधि
गर्भ संस्कार विधि
हिंदू धर्म में मनुष्य के जीवन को शुद्ध, अनुशासित और पूर्ण बनाने के लिए १६ संस्कारों का उल्लेख मिलता है। इन संस्कारों की श्रृंखला व्यक्ति के जन्म से पूर्व प्रारंभ होकर मृत्यु के बाद तक चलती है।
दीर्घायु पूजा विधि
दीर्घायु पूजा विधि
हर इंसान की यह स्वाभाविक इच्छा होती है कि वह लंबा, स्वस्थ और सुखद जीवन जिए। कोई नहीं चाहता कि असमय बीमारियों या मानसिक तनाव से उसका जीवन प्रभावित हो।
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