हर इंसान की यह स्वाभाविक इच्छा होती है कि वह लंबा, स्वस्थ और सुखद जीवन जिए। कोई नहीं चाहता कि असमय बीमारियों या मानसिक तनाव से उसका जीवन प्रभावित हो। आयुर्वेद, ज्योतिष और धर्मशास्त्रों में बताया गया है कि दीर्घायु केवल शरीर की लंबी उम्र नहीं होती, बल्कि यह एक ऐसा जीवन होता है जिसमें व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से संतुलित रहता है।
हमारे धर्म ग्रंथों में कई ऐसे पूजा-पाठ, मंत्र और व्रत-उपवास बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर न केवल दीर्घायु प्राप्त की जा सकती है, बल्कि रोगों से भी बचाव संभव होता है। यदि श्रद्धा और नियमपूर्वक इन उपायों को जीवन में उतार लिया जाए, तो व्यक्ति जीवन के हर पड़ाव को सकारात्मक ऊर्जा के साथ पार कर सकता है।
दीर्घायु और रोगों से बचाव के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप सबसे प्रभावी माना गया है। यह मंत्र अकाल मृत्यु और गंभीर रोगों से रक्षा करता है।
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”
हनुमान जी को चिरंजीवी (अजर-अमर) देवता माना जाता है।
सूर्यदेव को प्रतिदिन अर्घ्य देना भी दीर्घायु का प्रमुख उपाय है।
जुलाई का महीना कुछ राशियों के लिए बेहद खास होने वाला है, जहां उन्हें अपने करियर, आर्थिक स्थिति और व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 का पर्व तंत्र साधना, शक्ति उपासना और देवी कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यह नवरात्रि गुप्त रूप से मां दुर्गा की साधना के लिए समर्पित होती है, जिसमें विशेष रूप से हवन का आयोजन अत्यंत फलदायी माना गया है।
आषाढ़ माह में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि का आरंभ मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा से होता है। यह दिन साधना, आराधना और आत्मशुद्धि की शुरुआत मानी जाती है। गुप्त नवरात्रि में की जाने वाली पूजा विशेष रूप से तांत्रिक साधकों और आध्यात्मिक जिज्ञासुओं के लिए महत्वपूर्ण होती है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का दूसरा दिन देवी दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। यह दिन भक्तों के लिए आत्मनियंत्रण, वैराग्य और तपस्या की ऊर्जा को आत्मसात करने का अवसर होता है। मां ब्रह्मचारिणी का नाम ही उनके तपस्विनी स्वरूप को दर्शाता है।