किसी भी यात्रा को सफल और मंगलकारी बनाना केवल योजना या तैयारी पर ही निर्भर नहीं करता, बल्कि ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ आवश्यक उपाय अपनाने से भी यात्रा निर्विघ्न और सुखद बनती है। खासकर जब आप धार्मिक यात्रा या किसी विशेष कार्य के लिए घर से निकल रहे हों, तो कुछ परंपराएं और नियम ऐसे होते हैं, जिनका पालन करने से संकटों से बचा जा सकता है।
यात्रा पर निकलने से पहले परिवार के कुलदेवी या कुलदेवता की विधिवत पूजा करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से यात्रा के दौरान कोई भी अड़चन या दुर्घटना नहीं आती। विशेषकर जब परिवार के सभी सदस्य एक साथ यात्रा कर रहे हों, तो यह पूजा और भी आवश्यक हो जाती है। पूजा अधूरी न छोड़ें—यह एक प्रमुख सावधानी है। अधूरी पूजा को यात्रा में विघ्न का कारण माना गया है।
अगर आप वाहन से यात्रा कर रहे हैं, तो निकलने से पहले वाहन की पूजा करना न भूलें। पूजा में रोली, अक्षत, फूल और दीपक का प्रयोग करें। साथ ही एक नींबू लें और उसे वाहन के पहियों के नीचे रखकर फिर वाहन को चलाएं। यह एक सरल लेकिन प्रभावी उपाय है, जो यात्रा के दौरान संभावित दुर्घटनाओं से रक्षा करता है।
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, यात्रा के लिए सही तिथि का चयन करना अत्यंत जरूरी है। हर तिथि का अपना विशेष प्रभाव होता है—कुछ यात्रा के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती हैं तो कुछ को अशुभ बताया गया है:
अगर किसी आवश्यक कार्य से इन तिथियों में यात्रा करनी भी पड़े, तो कुलदेवी-देवताओं की विशेष पूजा और मंत्र जाप करके यात्रा शुरू करें।
यात्रा आरंभ करते समय घर से बाहर निकलते हुए हमेशा सीधा पैर पहले रखें। इसके साथ ही घर के बाहर गाय को रोटी खिलाना अत्यंत शुभ माना गया है। यह कार्य सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है और यात्रा में आने वाली बाधाओं से रक्षा करता है।
अगर आप तीर्थ या धार्मिक स्थल की यात्रा पर जा रहे हैं, तो अपने आराध्य देव का नाम लेकर संकल्प लें कि यह यात्रा सेवा, भक्ति और पुण्य के उद्देश्य से की जा रही है। संकल्पित यात्रा सदा सफल मानी जाती है और इससे मनोबल भी मजबूत होता है।