20 October 2025 Ka Panchang: शुभ मुहूर्त, राहुकाल का समय, आज की तिथि और ग्रह
20 October 2025 Ka Panchang: आज 20 अक्टूबर 2025 से कार्तिक मास का 14वां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है, जो कि 03:44 पी एम तक जारी रहेगी। इसके बाद अमावस्या तिथि लग जाएगी। बता दें कि आज सोमवार का दिन है। इस दिन सूर्य देव तुला राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा कन्या राशि में रहेंगे। आपको बता दें, आज सोमवार के दिन अभिजीत मुहूर्त 11:43 ए एम से 12:28 पी एम बजे तक है। इस दिन राहुकाल 07:50 ए एम से 09:15 ए एम तक रहेगा। आज के दिन कई विशेष त्योहार है, जिसमें लक्ष्मी पूजा, नरक चतुर्दशी, केदार गौरी व्रत, दीवाली, चोपड़ा पूजा, शारदा पूजा, काली पूजा, दीपमालिका और कमला जयन्ती शामिल है। साथ ही वार के हिसाब से आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है।
20 अक्टूबर 2025 का पंचांग (20 October 2025 Ka Panchang)
- तिथि - 03:44 पी एम तक कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि। इसके बाद अमावस्या तिथि लग जाएगी।
- नक्षत्र - हस्त (08:17 पी एम तक) चित्रा
- दिन/वार - सोमवार
- योग - वैधृति (02:35 ए एम, अक्टूबर 21 तक) विष्कम्भ
- करण - शकुनि (03:44 पी एम तक) चतुष्पाद (04:47 ए एम, अक्टूबर 21 तक) नाग
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि प्रारंभ - 01:51 पी एम तक, अक्टूबर 19
कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि समाप्त - 03:44 पी एम तक, अक्टूबर 20
सूर्य-चंद्र गोचर (Surya-Chandra Gochar)
- सूर्य - सूर्य देव तुला राशि में रहेंगे।
- चंद्र - चंद्रमा कन्या राशि में रहेंगे।
सूर्य और चंद्रमा का मुहूर्त (Surya aur Chandrama Ka Muhurat)
- सूर्योदय - 06:25 ए एम
- सूर्यास्त - 05:46 पी एम
- चन्द्रोदय - 06:06 ए एम, अक्टूबर 21
- चन्द्रास्त - 05:01 पी एम
20 अक्टूबर 2025 का शुभ मुहूर्त और योग (20 October 2025 Ka Shubh Muhurat aur Yog)
- ब्रह्म मुहूर्त - 04:44 ए एम से 05:34 ए एम
- अभिजीत मुहूर्त - 11:43 ए एम से 12:28 पी एम
- विजय मुहूर्त - 01:59 पी एम से 02:45 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त - 05:46 पी एम से 06:12 पी एम
- संध्या मुहूर्त - 05:46 पी एम से 07:02 पी एम
- अमृत काल - 01:40 पी एम से 03:26 पी एम
20अक्टूबर 2025 का अशुभ मुहूर्त (20 October 2025 ka Ashubh Muhurat)
- राहु काल - 07:50 ए एम से 09:15 ए एम
- गुलिक काल - 01:31 पी एम से 02:56 पी एम
- यमगंड - 10:40 ए एम से 12:06 पी एम
- वर्ज्य - 05:11 ए एम, अक्टूबर 21 से 06:57 ए एम, अक्टूबर 21
- आडल योग - 06:25 ए एम से 08:17 पी एम
- दिशाशूल - पूर्व, इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।
20 अक्टूबर 2025 पर्व/त्योहार/व्रत (20 October 2025 Parv / Tyohar / Vrat)
- सोमवार का व्रत- आज आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित है।
- लक्ष्मी पूजा - दीपावली का त्योहार पूरे देश में बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय, कार्तिक अमावस्या की तिथि पर मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। इसी कारण, हर वर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है। त्रेता युग में भगवान श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में अयोध्यावासियों द्वारा दीप जलाकर इस पर्व को मनाया गया था। तभी से यह परंपरा चली आ रही है और हर वर्ष दीपावली धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है, दीप जलाए जाते हैं और घरों को रोशनी से सजाया जाता है। धार्मिक विश्वास है कि मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
- नरक चतु्र्दशी - दीपावली का पंचदिवसीय उत्सव धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज तक मनाया जाता है। इसमें चतुर्दशी, अमावस्या और प्रतिपदा के दिन अभ्यंग स्नान करने की परंपरा है। खासकर चतुर्दशी को, जिसे नरक चतुर्दशी, रूप चौदस या छोटी दीवाली कहा जाता है, अभ्यंग स्नान का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय से पूर्व चतुर्दशी तिथि में स्नान करने से नरकगति से मुक्ति मिलती है। स्नान के समय तिल के तेल का उबटन प्रयोग में लाया जाता है। कभी-कभी यह तिथि लक्ष्मी पूजा से एक दिन पहले या उसी दिन भी पड़ सकती है, जो चतुर्दशी और अमावस्या की स्थिति पर निर्भर करता है। काली चौदस और नरक चतुर्दशी अक्सर एक मानी जाती हैं, जबकि वे वास्तव में दो अलग पर्व होते हैं।
- केदार गौरी व्रत - केदार गौरी व्रत दक्षिण भारत में विशेष रूप से तमिलनाडु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे केदार व्रतम् भी कहा जाता है। यह व्रत दीपावली अमावस्या के दिन किया जाता है और लक्ष्मी पूजा के साथ जुड़ा होता है। कुछ परिवारों में यह व्रत 21 दिनों तक चलता है, जबकि अधिकांश लोग एक दिन का उपवास रखते हैं। भगवान शिव के भक्तों के लिए यह व्रत अत्यधिक महत्वपूर्ण है और दीवाली के अवसर पर विशेष रूप से मनाया जाता है।
- दीवाली - कार्तिक माह में दीवाली का पर ्व अत्यधिक उत्साह और बेसब्री से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह पर्व भगवान श्रीराम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर यह पर्व विशेष रूप से मनाया जाता है और लोग इसे बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाते हैं।
- चोपड़ा पूजा - गुजरात में दीवाली को चोपड़ा पूजा के रूप में मनाया जाता है, जिसमें व्यापारी वर्ग देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना कर एक सफल और लाभप्रद व्यावसायिक वर्ष की प्रार्थना करते हैं। इस दिन नए बही-खातों या लैपटॉप की पूजा की जाती है, जिसमें स्वास्तिक, ॐ और शुभ-लाभ बनाए जाते हैं। चोपड़ा पूजा के लिए चौघड़िया मुहूर्त का विशेष महत्व है, जिसमें अमृत, शुभ, लाभ और चर मुहूर्त सबसे शुभ माने जाते हैं। हालांकि, लग्न आधारित दीवाली मुहूर्त और प्रदोष लक्ष्मी पूजा मुहूर्त को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह परंपरा गुजरात के अलावा राजस्थान और महाराष्ट्र में भी व्यापारी वर्ग द्वारा मनाई जाती है और इसे मुहूर्त पूजन भी कहा जाता है।
- शारदा पूजा - दीपावली पूजा गुजरात में शारदा पूजा और चोपड़ा पूजा के नाम से भी जानी जाती है, जिसमें देवी सरस्वती, लक्ष्मी और श्री गणेश की पूजा की जाती है। देवी सरस्वती ज्ञान, बुद्धि और विद्या की देवी हैं, जबकि माता लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं। श्री गणेश बुद्धि और विद्या के प्रदाता हैं। इस दिन तीनों की पूजा करने से स्थाई संपत्ति और वृद्धि की कामना की जाती है। शारदा पूजा विद्यार्थियों और व्यापारी वर्ग दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें नए चोपड़े (बही-खातों) की पूजा की जाती है और समृद्धि व सफलता के लिए प्रार्थना की जाती है। यह पूजा दीवाली हैं और इसका विशेष महत्व गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र में है।
- काली पूजा - काली पूजा एक हिंदू त्योहार है, जो देवी काली को समर्पित है। यह पर्व दीवाली उत्सव के दौरान अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम में काली पूजा का विशेष महत्व है, जबकि अन्य जगहों पर लक्ष्मी पूजा की जाती है। काली पूजा के लिए मध्यरात्रि का समय उपयुक्त माना जाता है, जबकि लक्ष्मी पूजा के लिए प्रदोष का समय उपयुक्त है। इन राज्यों में लक्ष्मी पूजा का प्रमुख दिन आश्विन माह की पूर्णिमा को कोजागर पूजा या बंगाल लक्ष्मी पूजा के रूप में मनाया जाता है। काली पूजा को श्यामा पूजा भी कहा जाता है और इसका अपना विशेष महत्व और अनुष्ठान हैं।
- कमला जयंती - देवी कमला दस महाविद्याओं में से दसवीं महाविद्या हैं और उन्हें तांत्रिक लक्ष्मी के रूप में भी जाना जाता है। धर्म ग्रंथों में उन्हें देवी लक्ष्मी के समान स्वरूप में वर्णित किया गया है, जो अपने भक्तों को संपत्ति, समृद्धि, उर्वरता, और सौभाग्य प्रदान करती हैं। देवी कमला की साधना से धन और धान्य की कमी नहीं रहती और स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। उन्हें कमल पुष्प अत्यंत प्रिय है। देवी कमला भगवान विष्णु की वैष्णवी शक्ति और लीला सहचरी हैं, और आगम-निगम दोनों ही उनकी महिमा का वर्णन करते हैं। देवी कमला को त्रिपुरा भी कहा जाता है, क्योंकि वह भगवान शिव के त्रिपुर स्वरूप की शक्ति हैं या भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों उनकी आराधना करते हैं।
20 अक्टूबर 2025 के उपाय (20 October 2025 Ke Upay)
- सोमवार के उपाय - सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से कई लाभ मिल सकते हैं। इस दिन शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल, दूध और गंगाजल चढ़ाएं। साथ ही बेलपत्र, धतूरा अर्पित करें। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से रोग और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। शिव मंदिर में रुद्राक्ष दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन सफेद रंग के कपड़े पहनने और व्रत रखने से मन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा रहती है। आर्थिक तंगी दूर करने के लिए सोमवार की रात शिव मंदिर में घी का दीपक जलाएं और नौकरी में सफलता पाने के लिए शिवलिंग पर शहद चढ़ाएं। इन उपायों से जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता मिल सकती है।
- दीवाली के दिन करें ये उपाय - दीवाली के दिन आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी को कौड़ी और एकाक्षी नारियल अर्पित करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और धन लाभ के योग बनते हैं। मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए 'ॐ ह्री श्रीं क्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा' मंत्र का जाप करना भी लाभकारी होता है। इससे जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है और रुके हुए काम पूरे होते हैं।
इन्हें भी पढ़े