Chhath Puja 2025: छठ पूजा हिंदू धर्म का सबसे पवित्र और अनुशासित पर्व माना जाता है, जो सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है। इस पर्व की सबसे अनोखी परंपराओं में से एक है ‘छठी मैया के लिए भीख मांगना’। यह परंपरा साधारण भिक्षा नहीं, बल्कि विनम्रता, आत्मसंयम और समर्पण का प्रतीक मानी जाती है। इस दिन व्रती व्यक्ति अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए दूसरों से पूजन सामग्री मांगते हैं, ताकि उनके मन में किसी भी प्रकार का अहंकार न रहे। आइए जानते हैं, इस परंपरा के पीछे की कथा और उसका महत्व।
छठ पर्व का मूल भाव आत्मशुद्धि और समर्पण पर आधारित है। इस परंपरा का उद्देश्य व्यक्ति के भीतर से अहंकार का नाश करना है। जब कोई व्यक्ति अपनी पूजा सामग्री भीख मांगकर जुटाता है, तो वह मानसिक रूप से दीन और विनम्र बन जाता है। इस भाव से वह यह स्वीकार करता है कि ईश्वर के सामने सभी समान हैं और सच्चा भक्त वही है जो अपने अहंकार का त्याग कर, विनम्र होकर पूजा करता है। धार्मिक मान्यता है कि जब व्रती इस तरह से अपनी पूजा सामग्री जुटाते हैं, तो छठी मैया स्वयं उनकी सहायता करती हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं।
इस परंपरा के पीछे कोई एक निश्चित कथा नहीं मिलती, लेकिन यह छठ पर्व के मूल भाव से गहराई से जुड़ी है। मान्यताओं के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की मनोकामना छठी मैया की कृपा से पूरी हो जाती है, तो वह अगले वर्ष छठी मैया के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए भीख मांगकर पूजा करने का संकल्प लेता है। ऐसा माना जाता है कि जब व्यक्ति पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से भीख मांगकर छठ पूजा करता है, तो उसे छठी मैया का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त होता है।
छठ पर्व के दौरान व्रती घर-घर जाकर पूजन सामग्री मांगते हैं। इसमें आमतौर पर गेहूं, चावल, दाल, फल, गुड़ या पूजन के लिए आवश्यक वस्तुएं मांगी जाती हैं। यह प्रक्रिया केवल वस्तुएं जुटाने का तरीका नहीं बल्कि भक्ति और विनम्रता का अभ्यास है।