हिंदू पंचांग के अनुसार, दशहरा या विजयादशमी का पर्व हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर माता सीता को लंका से मुक्त कराया था। साथ ही, इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का वध किया था। इसलिए इसे धर्म, सत्य और न्याय की जीत का पर्व कहा जाता है।
पंचांग के अनुसार इस वर्ष दशमी तिथि 1 अक्टूबर 2025, बुधवार की शाम 7:02 बजे शुरू होकर 2 अक्टूबर, गुरुवार की शाम 7:10 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार दशहरा का पर्व 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन पूरे देश में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन बड़े हर्षोल्लास के साथ किया जाएगा।
शास्त्रों के अनुसार, रावण दहन का सबसे शुभ समय सूर्यास्त के बाद का प्रदोष काल होता है। इस वर्ष सूर्यास्त शाम 6:05 बजे होगा, इसलिए रावण दहन इसी समय के बाद करना शुभ रहेगा। प्रदोष काल में रावण दहन करने से नकारात्मकता दूर होती है और घर-परिवार में सुख, शांति व समृद्धि का वास होता है।
ज्योतिष के अनुसार, इस वर्ष दशहरे के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। पूरा दिन रवि योग रहेगा, जो सभी कार्यों में सफलता देने वाला माना गया है। इसके अलावा, रात 12:34 बजे से सुबह 11:28 बजे तक सुकर्म योग और उसके बाद धृति योग का संयोग रहेगा। इन योगों के प्रभाव से जीवन में उत्साह, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। दशमी तिथि स्वयं में अबूझ मुहूर्त होती है, इसलिए इस दिन बिना किसी विशेष मुहूर्त के भी नए कार्य, व्यापार, वाहन या संपत्ति खरीदना शुभ माना जाता है।
दशहरे के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और घर के पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की विधिवत पूजा करें। इस दिन रामायण पाठ, सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ अत्यंत फलदायी माना गया है। परंपरा के अनुसार, इस दिन अस्त्र-शस्त्र, औजार, वाहन और किताबों की पूजा भी की जाती है। इसे अस्त्र पूजन कहा जाता है, जो शक्ति और ज्ञान के सम्मान का प्रतीक है। पूजा के बाद दीप प्रज्वलित करें और प्रसाद का वितरण करें।