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चैत्र पूर्णिमा व्रत कथा

चैत्र पूर्णिमा व्रत कथा

Chaitra Purnima Vrat Katha: चैत्र पूर्णिमा के दिन इस व्रत कथा का करें पाठ, इससे पूरी होती है सभी मनोकामना 


हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा एक अत्यंत पवित्र तिथि मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा एवं श्री सत्यनारायण कथा का श्रवण करने से व्यक्ति को सभी दुखों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं। 

चैत्र पूर्णिमा के दिन श्रवण करें सत्यनारायण कथा

चैत्र पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा करने और उनकी कथा सुनने का विशेष महत्व होता है। इस दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा श्रद्धा एवं समर्पण से करने पर भक्तों को असीम कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, इस दिन व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और जीवन में शांति का वास होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सत्यनारायण कथा को करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। 

जानिए चैत्र पूर्णिमा पर क्यों की जाती है सत्यनारायण कथा 

सत्यनारायण भगवान की कथा यह बताती है कि किसी भी व्यक्ति के लिए भगवान की भक्ति करना संभव है, चाहे वह राजा या गरीब हो, ब्राह्मण या व्यापारी हो या स्त्री और पुरुष हो। इस कथा में कई महत्वपूर्ण पात्रों का वर्णन मिलता है, जो अलग-अलग परिस्थितियों में सत्यनारायण भगवान की कृपा से लाभान्वित होते हैं। इसमें सभी पात्र अपने जीवन के अलग-अलग संघर्षों से गुजरते हैं और सत्यनारायण भगवान की कृपा से उनका जीवन सुखमय हो जाता है। इस कथा के माध्यम से यह बताया गया है कि ईश्वर की कृपा के लिए भक्ति एवं श्रद्धा सबसे आवश्यक हैं। इसलिए सत्यनारायण भगवान की कथा का विशेष महत्व है। 

चैत्र पूर्णिमा व्रत का महत्व 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत रखने का अर्थ बहुत विशेष होता है, जो केवल भोजन न करना नहीं है, बल्कि मानसिक एवं आत्मिक शुद्धि के साथ भगवान की आराधना करना भी है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भक्तों को सत्यनारायण व्रत का संकल्प लेना चाहिए और सच्चे मन से पूजा-अर्चना करनी चाहिए। यह व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही, मोक्ष की प्राप्ति भी होती है।

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लागी लागी है लगन,
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माँ की लाल रे चुनरिया,
देखो लहर लहर लहराए,

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लाल ध्वजा लहराये रे,
मैया तोरी ऊंची पहड़िया ॥

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