स्कंद षष्ठी व्रत कथा

स्कंद षष्ठी के व्रत के दिन करें जरूर पढ़ें ये व्रत कथा, पूरी होगी हर इच्छा



स्कंद षष्ठी का व्रत हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2025 की पहली स्कन्द षष्ठी 05 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान कार्तिकेय समेत पूरे शिव परिवार का पूजन किया जाता है। स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय को प्रसन्न करने के लिए व्रत और पूजा करने जा रहे हैं तो भगवान कार्तिकेय की इस कथा का पाठ अवश्य करें। मान्यता है कि स्कंद षष्ठी व्रत करने और व्रत कथा पढ़ने से व्यक्ति को काम, क्रोध, मोह, अहंकार आदि से मुक्ति मिलती है। तो आइए जानते हैं स्कंद षष्ठी की व्रत कथा के बारे में…

स्कंद षष्ठी कथा



पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब असुरों ने देवलोक में आतंक मचाया हुआ था तब देवगण को असुरों से पराजय का सामना करना पड़ा था। देवताओं के निवास स्थान पर भी असुरों ने अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। सभी देवगण असुरों को आतंक से इतने परेशान हो चुके थे कि वो सभी मिलकर भगवान ब्रह्मा के पास गए और मदद की प्रार्थना की। तब ब्रह्मा जी ने बताया कि भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही इन असुरों का नाश होगा। लेकिन इस समय भगवान शिव माता सती के वियोग में समाधि में लीन थे। तब सभी देवताओं और इंद्र ने शिवजी समाधि से जगाने का प्रयत्न किया और इसके लिए उन्होंने भगवान कामदेव की मदद ली। कामदेव अपने बाण से शिव पर फूल फेंकते हैं। इससे शिवजी की तपस्या भंग हो जाती हैं और वे क्रोध में आकर अपनी तीसरी आंख खोल देते हैं। इससे कामदेव भस्म हो जाते हैं। तपस्या भंग होने के बाद वे माता पार्वती की तरफ खुद को आकर्षित पाते हैं। जब इंद्र और अन्य देवता भगवान शिव को अपनी समस्या बताते हैं। तब भगवान शिव पार्वती के अनुराग की परीक्षा लेते हैं, पार्वती की तपस्या के बाद शुभ घड़ी में शिव पार्वती का विवाह होता है। इसके बाद कार्तिकेय का जन्म होता है और सही समय पर कार्तिकेय तारकासुर का वध कर देवताओं को उनका स्थान दिलाते हैं। मान्यता है कि कार्तिकेय का जन्म षष्ठी तिथि पर हुआ था, इसलिए षष्ठी तिथि पर कार्तिकेय की पूजा की जाती है।

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मां शेरावालिये तेरा शेर आ गया (Maa Sherawaliye Tera Sher Aa Gaya)

जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी

1 से 7 जनवरी तक के व्रत और त्योहार

इस बार नए साल के पहले हफ्ते में कई व्रत-त्योहार पड़ने वाले हैं। इस बार नए साल की शुरुआत बुधवार के दिन हो रही है। ऐसे में भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करना अधिक शुभ रहेगा।

खाटुश्याम चालीसा (Khatushyam Chalisa )

श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमीर सच्चिदानंद ।

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