वैशाख संकष्ठी चतुर्थी व्रत कथा

Vaishakh Sankashti Chaturthi Vrat Katha: जानिए वैशाख संकष्ठी चतुर्थी व्रत की कथा, इससे होंगे सभी कार्य मंगलमय


वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत मनाया जाता है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत फलदायक माना गया है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जो विघ्नहर्ता, बुद्धि के दाता और मंगलकर्ता हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिवत रूप से भगवान गणेश की पूजा, व्रत और कथा करने से भक्तों के जीवन से कष्ट, संकट और विघ्न दूर हो जाते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

भगवान गणेश ने की थी बुरी नजर से रक्षा

गणेश पुराण के अनुसार, एक नगर में सुशीला नाम की एक स्त्री रहती थी। एक समय उसने वैशाख संकष्टी चतुर्थी के दिन विधिपूर्वक व्रत कर भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की, जिसे देख भगवान गणेश उसकी श्रद्धा से अत्यंत प्रसन्न हुए। फिर उन्होंने दर्शन देकर सुशीला को वरदान दिया कि उसकी पुत्री के मुख से मोती और मूंगे झरेंगे और उसका पुत्र वेद-शास्त्रों का ज्ञाता होगा।

भगवान गणेश का यह आशीर्वाद देखकर चंचला नामक एक स्त्री, जो ईर्ष्यालु स्वभाव की थी, वह सुशीला से जलने लगी। उसने अपने ईर्ष्या के कारण सुशीला को हानि पहुचाने की चाल चली और सुशीला को मारने का प्रयास भी किया। लेकिन भगवान गणेश की कृपा से सुशीला और उसका परिवार सुरक्षित हमेशा रहा और चंचला ने भी अपने पापों का पश्चाताप किया।

धरमदास की पूजा से भगवान गणेश ने दिया था दर्शन 

एक बार की बात है, एक गांव में धरमदास नाम का आदमी रहता था, जो अत्यंत धार्मिक और ईमानदार था। ऐसा कहा जाता है कि वह भगवान गणेश का परम भक्त था और हर संकष्टी चतुर्थी को विधिपूर्वक व्रत रखा करता था। एक बार उसने वैशाख महीने की संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत कर भगवान गणेश की विशेष पूजा की और मोदक, तिलकुट, और गुड़ के लड्डुओं का भोग लगाया।

उसी समय उसके नगर में सुख और अकाल की स्थिति थी। लोग अत्यंत भूखे-प्यासे थे, लेकिन धरमदास ने भगवान गणेश की पूजा में कोई कमी नहीं की। साथ ही, वह रोज गरीबों को भोजन भी कराता था। उसकी श्रद्धा देखकर भगवान गणेश अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने स्वप्न में धरमदास को दर्शन दिया। फिर भगवान गणेश की आशीर्वाद से अगले ही दिन गांव में वर्षा हुई, खेतों में हरियाली आ गई और अन्न की कमी दूर हो गई। 

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