यशोदा जयंती क्यों मनाते हैं?

Yashoda Jayanti Katha: क्यों मनाते हैं यशोदा जयंती? जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा और महत्व    



यशोदा जयंती भगवान कृष्ण के मंदिरों के साथ ही दुनियाभर में फैले इस्कॉन में भी काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को गोकुल में भी धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि यहीं पर भगवान कृष्ण ने माता यशोदा के साथ अपना बचपन जिया था। श्रीकृष्ण द्वारका के राजा थे जो वर्तमान में गुजरात में है। इस दिन यहां के लोग भी अपने घरों को माता यशोदा और कृष्ण को पूजते हैं। इस जयंती के पीछे पौराणिक कथा है। तो आइए, इस आर्टिकल में यशोदा जयंती के पौराणिक कथा को विस्तार पूर्वक जानते हैं। 


माता यशोदा की जन्म कथा 



ब्रह्मा जी के आशीर्वाद से फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की षष्ठी तिथि को ब्रज में स्थित सुमुख नाम के गोप और उनकी पत्नी पाटला के यहां कन्या रूप में यशोदा का जन्म हुआ था। उनका विवाह ब्रज के राजा नंद से किया गया। धार्मिक मान्यता है कि नंद ही पिछले जन्म में द्रोण थे।

वहीं, एक अन्य कथा के अनुसार पूर्व जन्म में माता यशोदा ने भगवान विष्णु की तपस्या की थी। इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वर मांगने को कहा। यशोदा माता ने बोला कि मेरी तपस्या तभी पूर्ण होगी जब आप मुझे पुत्र के रूप में प्राप्त होंगे। भगवान ने प्रसन्न होकर कहा कि मैं वासुदेव और माता देवकी के घर जन्म लूंगा। लेकिन, मुझे मातृत्व का सुख आपसे ही प्राप्त होगा। समय के साथ ऐसा ही हुआ, माता यशोदा ने ही श्रीकृष्ण को मातृत्व सुख दिया।


जानिए यशोदा जयंती की तिथि और मुहूर्त 



वैदिक पंचांग के अनुसार, यशोदा जयंती फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को ये मनाई जाती है। इस साल फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि की आरंभ 18 फरवरी 2025 को प्रातः काल 04 बजकर 53 मिनट पर हो जाएंगी। वहीं इस तिथि का समाप्ति 19 फरवरी 2025 को सुबह 07 बजकर 32 मिनट पर होगी। इसलिए, इस साल यशोदा जयंती मंगलवार, 18 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। 


यशोदा जयंती का महत्व



यशोदा जयंती का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन मनाया जाता है।

यशोदा जयंती के दिन माता यशोदा की गोद में विराजमान श्री कृष्ण के बाल रूप और मां यशोदा की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है की इस दिन माता यशोदा और श्री कृष्ण की पूजा करने से सभी प्रकार की संतान संबंधी परेशानियां दूर हो जाती है। जो भी व्यक्ति इस दिन माँ यशोदा और श्री कृष्ण की पूजा करता है उसकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अगर कोई स्त्री सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ यशोदा जयंती के दिन भगवान श्री कृष्ण और यशोदा जी की करती है तो उसे भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप के दर्शन प्राप्त होते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।


........................................................................................................
लूटूरू महादेव चलो(Lutru Mahadev Chalo)

लूटरू महादेव जय जय,
लुटरू महादेव जी,

कब है जया एकादशी?

सनातन धर्म में एक साल में कुल 24 एकादशी आती है। इनमें से माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी मनाई जाती है। सनातन धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होता है।

शिव पार्वती ने तुम्हे, वरदान दे दिया (Shiv Parvati Ne Tumhe Vardan De Diya)

शिव पार्वती ने तुम्हे,
वरदान दे दिया,

मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल (Mere Lakhan Dulare Bol Kachhu Bol)

मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल,
मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।