ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की निरंतर गति से जीवन में शुभ और अशुभ दोनों तरह के योग बनते हैं। चंद्रमा हर ढाई दिन में राशि बदलकर व्यक्ति के मन, व्यवहार, स्वास्थ्य और निर्णय क्षमता पर सीधा प्रभाव डालता है। महीने के अंत में चंद्रमा मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। 27 नवंबर 2025 को दोपहर 02:06 बजे होने वाला यह गोचर तीन राशियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। इस दौरान अचानक खर्च, तनाव, गलतफहमी, यात्राएं और संबंधों में खटास जैसी स्थितियां सामने आ सकती हैं। आइए जानते हैं किन राशियों को इस गोचर के दौरान विशेष सावधानी रखनी चाहिए।
चंद्रमा का यह गोचर सिंह राशि वालों के लिए कई दिक्कतें ला सकता है। इस अवधि में विरोधी सक्रिय रहेंगे और आपका कोई काम बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं। अनचाही और अचानक यात्राएं हो सकती हैं, जिनसे खर्च भी बढ़ेगा और मानसिक चिड़चिड़ापन भी बढ़ सकता है। किसी भी प्रकार का निवेश या नया बिजनेस शुरू करने का विचार फिलहाल रोक देना ही बेहतर है, क्योंकि नुकसान की संभावना अधिक है। लापरवाही से किए गए काम बड़ी परेशानी बना सकते हैं। धैर्य, सतर्कता और शांत मन से निर्णय लेना ही आपको सुरक्षित रखेगा।
तुला राशि के जातकों के लिए यह गोचर मानसिक और आर्थिक दोनों रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। दूसरों के बहकावे में आकर कोई निर्णय न लें, क्योंकि तुरंत लाभ के लालच में उठाया गया कदम नुकसान कर सकता है। आर्थिक परेशानियां बढ़ेंगी और अनियोजित खर्च आपकी योजना बिगाड़ सकते हैं। छात्रों को एकाग्रता में कमी महसूस हो सकती है, जिसके कारण पढ़ाई में रुकावट आएगी। बिजनेस में उतार-चढ़ाव रहेंगे, इसलिए धैर्य और समझदारी बनाए रखना आवश्यक है। किसी भी तरह का जोखिम उठाने से बचें।
मीन राशि वालों के लिए यह समय मानसिक अस्थिरता और गलती की आशंका बढ़ा सकता है। अधूरे काम आपको तनाव देंगे और अकेलापन महसूस होगा। कार्यस्थल पर सहकर्मियों के साथ गलतफहमियां बढ़ सकती हैं, जिससे माहौल खराब हो सकता है। विरोधी आपकी कमजोरियों का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे, इसलिए सतर्क रहें। रिश्तों में भी तकरार बढ़ सकती है, खासकर पार्टनर के साथ। संवाद की कमी से समस्या और बढ़ सकती है। आत्मविश्वास में कमी महसूस होगी, इसलिए किसी भी बड़े निर्णय से पहले सलाह जरूर लें।
वैदिक ज्योतिष में गोचर का अर्थ है- ग्रहों की वर्तमान स्थिति। सरल भाषा में, किसी समय कोई ग्रह किस राशि में घूम रहा है, यही उस ग्रह का गोचर कहलाता है। जन्म कुंडली स्थिर होती है, लेकिन ग्रह प्रतिदिन आगे बढ़ते हैं, और उनकी यह चाल जन्म राशि पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डालती है। इसी आधार पर गोचर फल बताया जाता है। गोचर के प्रमुख सिद्धांतों में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या, वेध गोचर, गुरु का गोचर और मंगल का राशि परिवर्तन शामिल हैं। चंद्रमा का गोचर विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह सीधे मन, भावनाओं और दैनिक जीवन को प्रभावित करता है।