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फरवरी में शनि के नक्षत्र गोचर

फरवरी में शनि के नक्षत्र गोचर

फरवरी में शनि का नक्षत्र गोचर में होगा, इन 3 राशियों पर पड़ेगा प्रभाव 


2 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी पर शनि का नक्षत्र गोचर होगा। इस दिन सुबह 8.51 मिनट पर शनि पूर्व भाद्रपद के प्रथम पद से द्वितीय पद में गोचर करेंगे। पूर्वभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी बृहस्पति हैं, जो भाग्य के कारक ग्रह हैं। इस नक्षत्र गोचर का सबसे बड़ा लाभ मकर, कर्क, और मिथुन राशि के लोगों को मिलेगा। इन राशियों के लोगों के लिए यह समय भाग्यशाली साबित होगा। धन लाभ के साथ-साथ उनके अधूरे काम भी पूरे होंगे। यह समय उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लेकर आएगा। आइये जानते हैं फरवरी में शनि के नक्षत्र गोचर का किन राशियों पर प्रभाव पड़ेगा?  


शनि के नक्षत्र गोचर का राशियों पर प्रभाव 


शनि का नक्षत्र गोचर 2 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी पर होगा जो मकर, कर्क, और मिथुन राशि वालों के लिए शुभ समाचार लेकर आ रहा है-


मकर राशि वालों के लिए


  • बिजनेस में अच्छा मुनाफा मिलेगा।
  • संतान पक्ष से सुखद समाचार मिलेंगे।
  • पैसों को लेकर चल रही मानसिक परेशानी दूर होगी।
  • आय के स्त्रोत बढ़ेंगे।
  • परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत हो सकता है।
  • धार्मिक यात्रा के योग हैं।
  • साढ़ेसाती के अशुभ प्रभाव में कमी आएगी।


कर्क राशि वालों के लिए


  • बसंत पंचमी से शनि देव कर्क राशि वालों पर मेहरबान रहेंगे।
  • पूर्वभाद्रपद में शनि का गोचर से नौकरी में तरक्की के योग बन रहे हैं।
  • निवेश के लिए यह समय अनुकूल है।


मिथुन राशि वालों के लिए


  • शनि का नक्षत्र गोचर शुभ रहेगा।
  • आर्थिक स्थिति मजबूत होने की संभावना है।
  • इससे अनावश्यक खर्चों में कमी आ सकती है।
  • जीवनसाथी के साथ भी आपके संबंध अच्छे रहेंगे।

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श्रावण मास का महत्व

सावन का पावन महीना जल्द ही शुरू होने वाला है। श्रावण मास में भगवान शिव के भक्त व्रत रखते हैं, मंदिरों में दर्शन करते हैं और हर सोमवार को विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

श्रावण मास की पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में सावन मास का विशेष महत्व होता है। सावन को श्रावण मास के नाम से भी जाना जाता है, जो एक बेहद पवित्र और आध्यात्मिक महत्व वाला महीना है। पंचांग के अनुसार, इस साल यह पवित्र महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है जिसका समापन 9 अगस्त को होगा।

सावन व्रत का महत्व और लाभ

सावन का महीना आते ही हर शिव भक्त में एक अलग ही भक्ति की लहर दौड़ जाती है। पूरे महीने भगवान शिव की पूजा, व्रत और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। खासकर सोमवार के दिन, जिसे 'सावन सोमवार' कहा जाता है, लाखों श्रद्धालु शिवलिंग पर जल अर्पित कर व्रत रखते हैं।

सावन में रुद्राभिषेक का महत्व

हिंदू धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्त्व होता है, खासकर भगवान शिव की पूजा के लिए। इस पवित्र महीने में शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी आदि पंचामृत से अभिषेक करने की परंपरा को रुद्राभिषेक कहा जाता है।

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