प्रभु श्रीसीतारामजी काटो कठिन कलेश
कनक भवन के द्वार पे परयो दीन राजेश
कान्हा मेरी राखी का,
तुझे कर्ज चुकाना है,
केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके
केलवा के पात पर उगेलन सुरुज मल झांके ऊंके
कान्हा रे थोडा सा प्यार दे,
चरणो मे बैठा के तार दे,