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खाटुश्याम चालीसा (Khatushyam Chalisa )

खाटुश्याम चालीसा की रचना और महत्त्व


भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक के रूप में अवतार लिया था। जिन्हें हम खाटू श्याम के नाम से जानते हैं।  खाटू श्याम भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार हैं, जिन्हें बर्बरीक भी कहा जाता है। बर्बरीक, घटोत्कच और हिडिंबा के पुत्र थे, और महाभारत युद्ध में भाग लेना चाहते थे। खाटू श्याम जी को सबसे बड़ा दाता कहा गया है क्योंकि उन्होंने अपने शीश का दान दिया था। इनका शीश राजस्थान के सीकर जिले के खाटू नामक कस्बे में दफनाया गया था, इसलिए इनको खाटूश्याम जी कहा जाता है। खाटू श्याम बाबा को हारे का सहारा कहा जाता है। बाबा की कृपा पाने के लिए श्री खाटू श्याम चालीसा का पाठ करना चाहिए। विशेषकर बुधवार को भगवान श्रीकृष्ण का दिन माना जाता है, इसलिए इस दिन ये चालीसा करने से मनुष्य को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। श्री खाटू श्याम चालीसा में इनके गुणों का वर्णन किया गया है। इस चालीसा का पढ़ने के कई लाभ हैं...


१) जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं।

२) सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

३) वीरता, साहस और शक्ति प्राप्त होती है।

४) जीवन में हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

५) सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां खत्म होती हैं।

६) घर में सकारात्मकता आती है।



।।दोहा ।।


श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमीर सच्चिदानंद ।

श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चौपाई छंद ।


।।चौपाई।।


श्याम-श्याम भजि बारम्बारा । सहज ही हो भवसागर पारा ॥

इन सम देव न दूजा कोई । दिन दयालु न दाता होई ॥

भीम पुत्र अहिलावती जाया । कही भीम का पौत्र कहलाया ॥

यह सब कथा कही कल्पांतर । तनिक न मानो इसमें अंतर ॥

बर्बरीक विष्णु अवतारा । भक्तन हेतु मनुज तन धारा ॥

वसुदेव देवकी प्यारे । जसुमति मैया नंद दुलारे ॥

मधुसूदन गोपाल मुरारी । वृजकिशोर गोवर्धन धारी ॥

सियाराम श्री हरि गोविंदा । दिनपाल श्री बाल मुकुंदा ॥

दामोदर रणछोड़ बिहारी । नाथ द्वारकाधीश खरारी ॥

राधावल्लभ रुक्मणी कंता । गोपी बल्लभ कंस हनंता ॥

मनमोहन चित चोर कहाए । माखन चोरि-चारि कर खाए ॥

मुरलीधर यदुपति घनश्यामा । कृष्ण पतित पावन अभिरामा ॥

मायापति लक्ष्मीपति ईशा । पुरुषोत्तम केशव जगदीशा ॥

विश्वपति जय भुवन पसारा । दीनबंधु भक्तन रखवारा ॥

प्रभु का भेद न कोई पाया । शेष महेश थके मुनिराया ॥

नारद शारद ऋषि योगिंदर । श्याम-श्याम सब रटत निरंतर ॥

कवि कोदी करी कनन गिनंता । नाम अपार अथाह अनंता ॥

हर सृष्टी हर सुग में भाई । ये अवतार भक्त सुखदाई ॥

ह्रदय माही करि देखु विचारा । श्याम भजे तो हो निस्तारा ॥

कौर पढ़ावत गणिका तारी । भीलनी की भक्ति बलिहारी ॥

सती अहिल्या गौतम नारी । भई शापवश शिला दुलारी ॥

श्याम चरण रज चित लाई । पहुंची पति लोक में जाही ॥

अजामिल अरु सदन कसाई । नाम प्रताप परम गति पाई ॥

जाके श्याम नाम अधारा । सुख लहहि दुःख दूर हो सारा ॥

श्याम सलोवन है अति सुंदर । मोर मुकुट सिर तन पीतांबर ॥

गले बैजंती माल सुहाई । छवि अनूप भक्तन मान भाई ॥

श्याम-श्याम सुमिरहु दिन-राती । श्याम दुपहरी कर परभाती ॥

श्याम सारथी जिस रथ के । रोड़े दूर होए उस पथ के ॥

श्याम भक्त न कही पर हारा । भीर परि तब श्याम पुकारा ॥

रसना श्याम नाम रस पी ले । जी ले श्याम नाम के ही ले ॥

संसारी सुख भोग मिलेगा । अंत श्याम सुख योग मिलेगा ॥

श्याम प्रभु हैं तन के काले । मन के गोरे भोले-भाले ॥

श्याम संत भक्तन हितकारी । रोग-दोष अध नाशे भारी ॥

प्रेम सहित जब नाम पुकारा । भक्त लगत श्याम को प्यारा ॥

खाटू में हैं मथुरावासी । पारब्रह्म पूर्ण अविनाशी ॥

सुधा तान भरि मुरली बजाई । चहु दिशि जहां सुनी पाई ॥

वृद्ध-बाल जेते नारि नर । मुग्ध भये सुनि बंशी स्वर ॥

हड़बड़ कर सब पहुंचे जाई । खाटू में जहां श्याम कन्हाई ॥

जिसने श्याम स्वरूप निहारा । भव भय से पाया छुटकारा ॥


।।दोहा।।


श्याम सलोने संवारे, बर्बरीक तनुधार ।

इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार।।

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