शास्त्रों में कुबेर देव को धन का स्वामी माना गया है, जो सभी देवताओं के कोषाध्यक्ष भी हैं। सनातन धर्म में भगवान कुबेर को एक विशेष स्थान प्राप्त है उन्हें यक्षकों का राजा एवं भगवान शिव का द्वारपाल माना गया है। भगवान कुबेर को सद्गुणों वाला और उत्तर दिशा के स्वामी के रूप में देखा जाता है। धन के देवता कुबेर की कृपा पाने के लिए कुबेर चालीसा का पाठ करना चाहिए। कुबेर चालीसा भगवान कुबेर को समर्पित अवधी भाषा में लिखित 40 छंदों का भक्ति भजन है, जिसमें कुबेर देवता के महत्व, गुणों, शक्तियों, कर्मों इत्यादि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी है। कुबेर देवता का मनुष्य तथा तीनों लोकों के प्राणियों के लिए क्या महत्व है, यह हमें कुबेर चालीसा के माध्यम से पता चलता है। यही कारण है कि कुबेर चालीसा का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। जो मनुष्य भगवान कुबेर की पूजा अर्चना एवं चालीसा का पाठ करता है उसके जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती और वह हमेशा ही आर्थिक रूप से मजबूत बना रहता है। यूं तो आप किसी भी दिन इसका पाठ कर सकते हैं, लेकिन शुक्रवार को इसका विशेष लाभ मिलता है। शुक्रवार को प्रातः काल या संध्या काल में श्री कुबेर चालीसा का पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ कर सकते हैं। व्यापारियों का इस चालीसा का पाठ करना अति उत्तम माना गया है। जो कोई भी कुबेर चालीसा का पाठ अपने घर में करवाता है, कुबेर देव उसका बेड़ा पार लगा देते हैं। वे उजड़े हुए घर को भी फिर से बसाने का कार्य करते हैं और शत्रुता को भी मित्रता में बदल देते हैं। जो भी कुबेर चालीसा की एक हज़ार पुस्तकों का दान करता है, उसे सभी प्रकार का सुख मिलता है। जो व्यक्ति अपने परिवार सहित कुबेर देवता की कीर्ति का वर्णन करता है, वह मृत्यु के पश्चात स्वर्ग लोक में निवास करता है। इसके अलावा भी इसके पाठ से कई शुभ फल प्राप्त होते हैं,जैसे...
१) जीवन में धन, यश और संपत्ति की कभी कमी नहीं आती है। २) जिन लोगों पर कर्ज का बोझ हद से ज्यादा बढ़ जाता है, उन्हें कुबेर चालीसा का नियमित पाठ करना चाहिए जिससे उनका बड़ा से बड़ा कर्ज उतर जाता है। ३) व्यक्ति भय और रोग से दूर होता है। ४) जीवन में हताश हो रहे मनुष्य को भी हर क्षेत्र में सफलता मिलती चली जाती है। ५) इस चालीसा को पढ़ने से भक्त के बड़े से बड़े शत्रु भी उसके मित्र बन जाते हैं। ६) नित्य दिन कुबेर चालीसा के पाठ से निसंतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती है। ७) कोर्ट कचहरी के मामलों में लाभ होता है और व्यक्ति के द्वारा बटोर हुए धन की रक्षा स्वयं भगवान कुबेर करते हैं। ८) जो भक्त अपने परिवार के सहित कुबेर देवता के चालीसा को पढ़ता है वह मृत्यु के पश्चात स्वर्ग में जगह पाता है।
।। दोहा।। जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर । ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर ॥ विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर । भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर ॥ ।।चौपाई।। जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी । धन माया के तुम अधिकारी ॥ तप तेज पुंज निर्भय भय हारी । पवन वेग सम सम तनु बलधारी ॥ स्वर्ग द्वार की करें पहरे दारी । सेवक इंद्र देव के आज्ञाकारी ॥ यक्ष यक्षणी की है सेना भारी । सेनापति बने युद्ध में धनुधारी ॥ महा योद्धा बन शस्त्र धारैं । युद्ध करैं शत्रु को मारैं ॥ सदा विजयी कभी ना हारैं । भगत जनों के संकट टारैं ॥ प्रपितामह हैं स्वयं विधाता । पुलिस्ता वंश के जन्म विख्याता ॥ विश्रवा पिता इडविडा जी माता । विभीषण भगत आपके भ्राता ॥ शिव चरणों में जब ध्यान लगाया । घोर तपस्या करी तन को सुखाया ॥ शिव वरदान मिले देवत्य पाया । अमृत पान करी अमर हुई काया ॥ धर्म ध्वजा सदा लिए हाथ में । देवी देवता सब फिरैं साथ में । पीताम्बर वस्त्र पहने गात में ॥ बल शक्ति पूरी यक्ष जात में ॥ स्वर्ण सिंहासन आप विराजैं । त्रिशूल गदा हाथ में साजैं ॥ शंख मृदंग नगारे बाजैं । गंधर्व राग मधुर स्वर गाजैं ॥ चौंसठ योगनी मंगल गावैं । ऋद्धि सिद्धि नित भोग लगावैं ॥ दास दासनी सिर छत्र फिरावैं ।यक्ष यक्षणी मिल चंवर ढूलावैं ॥ ऋषियों में जैसे परशुराम बली हैं । देवन्ह में जैसे हनुमान बली हैं ॥ पुरुषोंमें जैसे भीम बली हैं । यक्षों में ऐसे ही कुबेर बली हैं ॥ भगतों में जैसे प्रहलाद बड़े हैं । पक्षियों में जैसे गरुड़ बड़े हैं ॥ नागों में जैसे शेष बड़े हैं । वैसे ही भगत कुबेर बड़े हैं ॥ कांधे धनुष हाथ में भाला । गले फूलों की पहनी माला ॥ स्वर्ण मुकुट अरु देह विशाला । दूर दूर तक होए उजाला ॥ कुबेर देव को जो मन में धारे । सदा विजय हो कभी न हारे ।। बिगड़े काम बन जाएं सारे । अन्न धन के रहें भरे भण्डारे ॥ कुबेर गरीब को आप उभारैं । कुबेर कर्ज को शीघ्र उतारैं ॥ कुबेर भगत के संकट टारैं । कुबेर शत्रु को क्षण में मारैं ॥ शीघ्र धनी जो होना चाहे । क्युं नहीं यक्ष कुबेर मनाएं ॥ यह पाठ जो पढ़े पढ़ाएं । दिन दुगना व्यापार बढ़ाएं ॥ भूत प्रेत को कुबेर भगावैं । अड़े काम को कुबेर बनावैं ॥ रोग शोक को कुबेर नशावैं । कलंक कोढ़ को कुबेर हटावैं ॥ कुबेर चढ़े को और चढ़ादे । कुबेर गिरे को पुन: उठा दे ॥ कुबेर भाग्य को तुरंत जगा दे । कुबेर भूले को राह बता दे ॥ प्यासे की प्यास कुबेर बुझा दे । भूखे की भूख कुबेर मिटा दे ॥ रोगी का रोग कुबेर घटा दे । दुखिया का दुख कुबेर छुटा दे ॥ बांझ की गोद कुबेर भरा दे । कारोबार को कुबेर बढ़ा दे ॥ कारागार से कुबेर छुड़ा दे । चोर ठगों से कुबेर बचा दे ॥ कोर्ट केस में कुबेर जितावै ।जो कुबेर को मन में ध्यावै ॥ चुनाव में जीत कुबेर करावैं । मंत्री पद पर कुबेर बिठावैं ॥ पाठ करे जो नित मन लाई । उसकी कला हो सदा सवाई ॥ जिसपे प्रसन्न कुबेर की माई । उसका जीवन चले सुखदाई ॥ जो कुबेर का पाठ करावै । उसका बेड़ा पार लगावै ॥ उजड़े घर को पुन: बसावै । शत्रु को भी मित्र बनावै ॥ सहस्त्र पुस्तक जो दान कराई । सब सुख भोद पदार्थ पाई । प्राण त्याग कर स्वर्ग में जाई । मानस परिवार कुबेर कीर्ति गाई ॥ ॥ दोहा ॥ शिव भक्तों में अग्रणी,श्री यक्षराज कुबेर । हृदय में ज्ञान प्रकाश भर,कर दो दूर अंधेर ॥ कर दो दूर अंधेर अब,जरा करो ना देर । शरण पड़ा हूं आपकी,दया की दृष्टि फेर ।