Logo

ज्ञानगंगा

पूजा में क्यों नहीं जलाना चाहिए अगरबत्ती?
पूजा में क्यों नहीं जलाना चाहिए अगरबत्ती?
सारी दुनिया में बांस ऐसी लकड़ी है जिसे जलाने से लोग दूर भागते हैं। हिंदू धर्म में इसे हमेशा से अशुभ माना गया है। न तो रसोई में और न ही पूजा-पाठ में बांस का इस्तेमाल होता है।
आरती के बाद क्यों फेरते हैं हाथ ?
आरती के बाद क्यों फेरते हैं हाथ ?
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का एक अहम हिस्सा है आरती। लगभग हर घर में सुबह-शाम देवताओं की आरती की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आरती करने के पीछे क्या खास कारण है और आरती के दौरान हम हाथ क्यों फेरते हैं? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं इसका महत्व क्या है?
सिर पर कपड़ा बांधकर पूजा क्यों की जाती है?
सिर पर कपड़ा बांधकर पूजा क्यों की जाती है?
हिंदू धर्म में मंदिर, घर या किसी भी पवित्र स्थान पर पूजा करते समय सिर को ढकने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। यह माना जाता है कि पूजा के दौरान सिर ढकने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ मिलता है। महिलाएं आमतौर पर साड़ी का पल्लू या दुपट्टा और पुरुष रूमाल का उपयोग करते हैं।
हाथ जोड़कर ही क्यों करते हैं प्रार्थना?
हाथ जोड़कर ही क्यों करते हैं प्रार्थना?
ईश्वर से जुड़ने और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के अपने खास तरीके हैं। हिंदू धर्म में, प्रार्थना करते समय आंखें बंद कर लेना और हाथ जोड़कर खड़े होते हैं। हाथ जोड़ना सिर्फ एक नमस्कार नहीं है, बल्कि यह विनम्रता, सम्मान और आभार का प्रतीक है।
भगवान को पंचामृत से स्नान क्यों कराते हैं?
भगवान को पंचामृत से स्नान क्यों कराते हैं?
हिंदू धर्म में पंचामृत का विशेष महत्व है। यह एक पवित्र मिश्रण है जिसे पूजा-पाठ में और विशेष अवसरों पर भगवान को अर्पित किया जाता है। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर शामिल होते हैं। इन पांच पवित्र पदार्थों को मिलाकर बनाया गया पंचामृत भगवान को प्रसन्न करने और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने का एक महत्वपूर्ण साधन माना जाता है।
8वीं सदी में बनाए थे 13 अखाड़े
8वीं सदी में बनाए थे 13 अखाड़े
प्रयागराज में कुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है। अखाड़ों का आना भी शुरू हो गया है। महर्षि आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में इनकी स्थापना की थी।
मांगलिक कार्यों में क्यों लगाई जाती है हल्दी?
मांगलिक कार्यों में क्यों लगाई जाती है हल्दी?
हिंदू धर्म में हल्दी को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। हल्दी के बिना कोई भी धार्मिक अनुष्ठान नहीं किए जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में हल्दी का संबंध देवगुरु बृहस्पति से बताया गया है। इतना ही नहीं किसी भी पूजा-पाठ में हल्दी सबसे महत्वपूर्ण सामग्री मानी जाती है।
कल्पवास का महत्व
कल्पवास का महत्व
प्रयागराज हिंदू धर्म के सबसे तीर्थ स्थलों में गिना जाता है। यहां माघ महीने में कल्पवास करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस बार माघ माह महाकुंभ के दौरान पड़ रहा है।
कैसे होता है कल्पवास का 1 महीना?
कैसे होता है कल्पवास का 1 महीना?
प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी से होने जा रही है। अखाड़ों के साधु-संतों का पहुंचना जारी है। वहीं आम लोग भी संगम नगरी प्रयागराज पहुंच रहे हैं। इनमें कई ऐसे भी है , जो त्रिवेणी संगम पर कल्पवास करने के लिए आए हैं।
त्रिवेणी संगम पर क्यों होता है शाही स्नान?
त्रिवेणी संगम पर क्यों होता है शाही स्नान?
महाकुंभ 2025 की शुरुआत में अब 1 महीने से भी कम समय बचा है। शाही स्नान के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई है। प्रयागराज का त्रिवेणी संगम हिंदु धर्म के सबसे बड़े समागम के लिए तैयार है।
HomeBook PoojaBook PoojaChadhavaChadhavaKundliKundliPanchangPanchang