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ज्ञानगंगा

दक्षिणमुखी घर में पूजा क्यों नहीं होती?
दक्षिणमुखी घर में पूजा क्यों नहीं होती?
अपना घर बनाते समय दिशा का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा को यमराज से जोड़ा जाता है और दक्षिण मुखी घर अशुभ माना जाता है।
शिव जी को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है?
शिव जी को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है?
हिंदू धर्म में भगवान शिव को दया और करुणा का सागर माना जाता है। महादेव का स्वभाव बेहद भोला है, इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है, उसका कल्याण निश्चित होता है।
घर में मंदिर कहां होना चाहिए?
घर में मंदिर कहां होना चाहिए?
घर का मंदिर एक पवित्र स्थान है जहां हम अपने आराध्य देवों की पूजा करते हैं। यह न केवल हमारी भक्ति के केंद्र है, बल्कि आस्था का मार्ग भी दिखाता है।
भोग लगाने के बाद ही भोजन क्यों किया जाता है?
भोग लगाने के बाद ही भोजन क्यों किया जाता है?
हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना करने के दौरान देवी-देवताओं को भोग लगाने का विशेष महत्व है। बिना भगवान को भोग लगाए पूजा अधूरी मानी जाती है।
मंदिर में प्रवेश से पहले पैर धोना क्यों आवश्यक है?
मंदिर में प्रवेश से पहले पैर धोना क्यों आवश्यक है?
मंदिर में प्रवेश के मुख्य नियमों में से एक है, प्रवेश से पहले पैरों को धोना। माना जाता है कि चाहे हम तन और मन से कितने ही शुद्ध क्यों न हों, मंदिर में प्रवेश से पूर्व हाथों के साथ-साथ पैरों को धोना अत्यंत आवश्यक होता है।
धूप और अगरबत्ती क्यों जलाई जाती है?
धूप और अगरबत्ती क्यों जलाई जाती है?
सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा में विशेष रूप से धूपबत्ती जलाने की परंपरा है। बिना धूपबत्ति के पूजा-पाठ अधूरी मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि धूपबत्ती जलाने से घर में सकारात्कता का संचार होता है और व्यक्ति के जीवन में भी शुभता आती है।
रंगोली क्यों बनाई जाती है?
रंगोली क्यों बनाई जाती है?
सनातन धर्म में रंगों को हमेशा से पवित्र माना गया है। रंगोली, न सिर्फ हमारे घरों को सजाती है बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी हमारे मन को शांत और खुशहाल बनाती है।
कुंभ में कल्पवास कितने दिनों का होता है
कुंभ में कल्पवास कितने दिनों का होता है
कुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से प्रयागराज में होने जा रही है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए पहुंचने वाले हैं। इस आयोजन का मुख्य आकर्षण कल्पवास होगा। यह एक धार्मिक अनुष्ठान है, जो माघ मास में किया जाता है।
राजा जनक ने बिहार के सिमरिया में किया था कल्पवास
राजा जनक ने बिहार के सिमरिया में किया था कल्पवास
कल्पवास की परंपरा हिंदू संस्कृति का अहम हिस्सा है। इस पंरपरा के मुताबिक व्यक्ति को एक महीने तक गंगा किनारे रहकर अनुशासित जीवनशैली का पालन करना होता है। यह एक तरह का कठिन तप माना गया है।
कल्पवास के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक लाभ
कल्पवास के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक लाभ
प्रयागराज में कुंभ की शुरुआत होने में एक महीने से भी कम समय रह गया है। साधु-संतों के अखाड़े प्रयागराज पहुंच चुके हैं। वहीं लोग बड़ी संख्या में संगम पर स्नान करने आने वाले हैं। लेकिन इसके साथ ऐसे भी कुछ श्रद्धालु होंगे, जो कल्पवास के लिए प्रयाग पहुंचेंगे।
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