छठ पूजा में खरना का दिन बहुत महत्व रखता है। इस दिन के बाद से व्रत करने वाले 36 घंटे तक बिना जल के उपवास रखते हैं। खरना के दिन व्रती नए मिट्टी के चूल्हे पर गुड़, दूध, और साठी के चावल से प्रसाद तैयार करते हैं।
लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर से नहाय खाय के साथ हो चुकी है। यह पर्व दिवाली के बाद मनाया जाता है और खासकर उत्तर भारत में इसका विशेष महत्व है।
कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाने वाला छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मईया की आराधना का पर्व है। इस साल यह 5 नवंबर 2024 को नहाय-खाय से शुरू होगा और 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा।
भारत में भगवान चित्रगुप्त जी के कई प्रमुख मंदिर हैं। जिनमें पटना, गोरखपुर, कांचीपुरम और उज्जैन के मंदिर विशेष महत्व रखते हैं। ये मंदिर वास्तुकला, सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था का प्रतीक माने जाते हैं।
भाई दूज 2024: भाई दूज पर बहनें शुभ मुहूर्त में अपने भाई को तिलक लगाकर उनके दीर्घायु और समृद्धि की कामना करती हैं। यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विशेष धार्मिक महत्व रखता है।
दिवाली पूजा के बाद लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों को सही तरीके से संभालना बेहद महत्वपूर्ण है। पुरानी मूर्तियों को सम्मान के साथ विसर्जित करना और नई मूर्तियों को पूजा स्थल पर स्थापित करना शुभ माना जाता है। गलत तरीके से मूर्तियों का उपयोग करने से पूजा का फल नष्ट हो सकता है।
भाई दूज का पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है, जो इस साल 3 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करके उनकी लंबी उम्र और समृद्धि की कामना करती हैं।