नवीनतम लेख
सनातन धर्म में श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु और श्री महेश तीनों को सभी देवी देवताओं में श्रेष्ठ माना गया है। इनसे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। शास्त्रों में उल्लेखित है कि भगवान श्री विष्णु चार माह के लिए सो जाते हैं। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। इसलिए इन चार माह के दौरान सभी शुभ कार्यों को निषेध माना गया है। मान्यता है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों की प्रार्थनाओं को पूर्ण करने और संसार के संचालन में इतने तल्लीन रहते थे कि उन्हें आराम ही नहीं मिल पाता था। आइए इस लेख में विस्तार से इसकी पौराणिक कथा जानते हैं।
एक बार भगवान श्री विष्णु जी से माता लक्ष्मीजी ने आग्रह के भाव में कहा “हे! प्रभु आप समय से विश्राम किया करें यह आपके लिए और अन्य सभी देव गणों के लिए लाभप्रद है। जिसके बाद भगवान श्री विष्णु जी ने माता लक्ष्मी की बात मान ली और हर साल चार महीने के लिए सोने का फ़ैसला किया। क्योंकि, मांगलिक कार्यों को होने के लिए देवों का जागृत अवस्था में रहना ज़रूरी है। इसीलिए इस दौरान मांगलिक कार्य बंद रहते हैं। चातुर्मास के दौरान चार महीने तक भगवान विष्णु पाताल लोक में सोने के लिए जाते हैं और इस दौरान भगवान शिव ब्रह्मांड की रक्षा करते हैं। अब जब भगवान विष्णु जागेंगे तो यह जिम्मा वापस विष्णुजी संभाल लेंगे। प्रभु के नींद में जागने के कारण ही इस दिन को देव उठनी एकादशी कहा गया है। इस दिन से सभी मांगलिक कार्य भी प्रारंभ हो जाएंगे।
पौराणिक कथा के अनुसार राजा बलि ने तीनों लोकों पर अपना आधिपत्य जमा लिया था। जिससे घबरा कर इंद्रदेव भगवान विष्णु के पास पहुंचे। उस समय भगवान विष्णु ने वामन का रूप धारण कर राजा बलि से दान में तीन पग भूमि मांगी। दो पग में भगवान वामन ने धरती और आसमान को नाप लिया और राजा बलि से पूछा कि तीसरा पैर कहां रखें। तो उन्होंने भगवान का तीसरा पैर अपने सिर पर रखवा लिया।
राजा बलि के इस वचन पालन से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वर मांगने के लिए कहा, बलि ने भगवान विष्णु से अपने साथ पाताल चलकर हमेशा वहीं रहने का वर मांगा। वचन में बंधकर भगवान विष्णु बलि के साथ पाताल लोक चले गए। उधर विष्णु जी के लिए मां लक्ष्मी चिंतित हो गई। माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को पाताल लोक से मुक्ति दिलाने के लिए राजा बलि को राखी बांधी और भगवान विष्णु की वचन से आजादी राखी की भेंट स्वरूप मांग ली। लेकिन भगवान विष्णु अपने भक्त को चौमासा मतलब आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तक पाताल लोक में निवास करने का वरदान दिया। इसीलिए ये 4 महीने भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।