आये है दिन सावन के,
गंगा जल से भर के गगरिया,
गंगा जल से भर के गगरिया,
शिव को कावड़ चढ़ावन के,
आये हैं दिन सावन के,
आये हैं दिन सावन के ॥
यही है दुनिया में देव अकेला,
लगे है यहाँ कावड़ियो का मेला,
आये है दिन शिव भक्तो के,
आये है दिन शिव भक्तो के,
हर हर बम बम गावन के,
आये हैं दिन सावन के,
आये हैं दिन सावन के ॥
यही वो दिन बाबा माल लुटाये,
यहाँ से कोई खाली हाथ ना जाए,
भोलेनाथ से जी भर मांगो,
भोलेनाथ से जी भर मांगो,
आये है दिन मांगण के,
आये हैं दिन सावन के,
आये हैं दिन सावन के ॥
आओ जी सारे झूमो नाचो गाओ,
मचाओ ‘बनवारी’ धमाल मचाओ,
आये है दिन शिव शंभू के,
आये है दिन शिव शंभू के,
हमको पास बुलावन के,
आये हैं दिन सावन के,
आये हैं दिन सावन के ॥
आये है दिन सावन के,
गंगा जल से भर के गगरिया,
गंगा जल से भर के गगरिया,
शिव को कावड़ चढ़ावन के,
आये हैं दिन सावन के,
आये हैं दिन सावन के ॥
परशुराम द्वादशी का पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी को समर्पित है, जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह व्रत विशेष रूप से संतान के प्राप्ति की कामना रखने वाले लोगों के लिए फलदायी होता हैं।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। यह व्रत सभी पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यंत महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए एक विशेष दिन माना जाता है, जो हर महीने दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास का शुक्र प्रदोष व्रत 2025 में एक अत्यंत शुभ योग लेकर आ रहा है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता हैI