आज राम मेरे घर आए,
मेरे राम मेरे घर आए,
नी मैं उंचिया भागा वाली,
मेरी कुटिया दे भाग जगाए,
आज राम मेरे घर आये ॥
नी मैं राह विच नैन बिछावा,
नाल चन्दन तिलक लगावा,
नी मैं रज रज दर्शन पावा,
आज राम मेरे घर आये,
मेरी कुटिया दे भाग जगाए,
आज राम मेरे घर आये ॥
वो जग दा पालनहारा,
नाल दुनिया दा रखवाला,
वो सबदे दुःख मिटाए,
आज राम मेरे घर आये,
मेरी कुटिया दे भाग जगाए,
आज राम मेरे घर आये ॥
नी मैं जिंदडी कोल कुवांवा,
नाल चख चख बेर खवावा,
वो हस हस खान्दा जाए,
आज राम मेरे घर आये,
मेरी कुटिया दे भाग जगाए,
आज राम मेरे घर आये ॥
नी मैं हृदय दा थाल बनावा,
नैना दी ज्योत जलावा,
नी मैं आरति आप ही गावा,
आज राम मेरे घर आये,
मेरी कुटिया दे भाग जगाए,
आज राम मेरे घर आये ॥
आज राम मेरे घर आए,
मेरे राम मेरे घर आए,
नी मैं उंचिया भागा वाली,
मेरी कुटिया दे भाग जगाए,
आज राम मेरे घर आये ॥
सप्तऋषियों में भारद्वाज ऋषि को सबसे सर्वोच्च स्थान मिला हुआ है। ऋषि भारद्वाज ने आयुर्वेद सहित कई ग्रंथों की रचना की थी।
अत्रि (वैदिक ऋषि) ऋषि को ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों में से एक और चन्द्रमा, दत्तात्रेय और दुर्वासा का भाई माना जाता है।
महर्षि जमदग्नि की गणना सप्तऋषियों में की जाती है। जमदग्नि ऋषि भृगुवंशी ऋचीक के पुत्र थे।
गौतम का उल्लेख ऋग्वेद में अनेक बार हुआ है, किन्तु किसी ऋचा के रचयिता के रूप में गौतम को कभी नहीं देखा गया।