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राम आरती होन लगी है
जगमग जगमग जोत जली है, राम आरती होन लगी है भक्ति का दीपक प्रेम की बाती, आरति संत करें दिन राती, आनन्द की सरिता उभरी है, जगमग जगमग....... कनक सिंघासन सिया समेता, बैठहिं राम होइ चित चेता, वाम भाग में जनक लली है, जगमग जगमग....... आरति हनुमत के मन भावै, राम कथा नित शंकर गावै, सन्तों की ये भीड़ लगी है, जगमग जगमग....... गावत यश ब्रम्हा मुनि नारद, अन्य मुनि जे पथ परमारथ, हनुमान पद प्रीत जगी है, जगमग जगमग....... बाम भाग सिय सोहत कैसी, ब्रम्ह जिव विच माया जैसी, भरत शत्रुघ्न चवर फबी है, जगमग जगमग....... करत अपावन पावन जग में, नाम राम को आवत हिय में, मन मंदिर में आस लगी है, जगमग जगमग....... जगमग जगमग जोत जली है, राम आरती होन लगी है बोलिये श्रीरामचन्द्र भगवान की जय
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