सनातन धर्म में श्रीरामचरितमानस का पाठ अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। इसमें भी जब रामायण का पाठ बिना रुके, लगातार 24 घंटे किया जाए, तो उसे अखंड रामायण पाठ कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि अखंड रामायण पाठ कराने से भगवान राम, हनुमान और शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन की बाधाएं दूर हो जाती हैं।
अखंड रामायण पाठ में तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस का सम्पूर्ण पाठ, किसी योग्य ब्राह्मण या भक्तों के समूह द्वारा 24 घंटे के भीतर बिना किसी रुकावट के किया जाता है। यह पाठ आमतौर पर किसी विशेष अवसर पर जैसे गृह प्रवेश, नवरात्रि, राम नवमी, विवाह, जन्मोत्सव या संकट टालने हेतु करवाया जाता है।
पाठ के लिए घर या मंदिर में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते हुए एक शांत और पवित्र स्थान पर राम दरबार की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। उनके सामने एक कलश रखें, जिसमें आम या पान के पत्ते और ऊपर नारियल रखें। कलश को मौली से बांधकर उस पर कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। पूजन में उपयोग के लिए निम्न सामग्री रखनी होती है:
तुलसी पत्ते, फूल-माला, दीपक, अगरबत्ती, बेलपत्र, घी, कपूर, गुलाल, मिश्री, चावल, शहद, सुपारी, सिंदूर, पंचामृत, पीली सरसों, इत्र, खजूर, मिठाइयाँ, रक्षासूत्र, वस्त्र, जनेऊ, गंगाजल, गौमूत्र, माचिस आदि।
पाठ की शुरुआत पूजन और संकल्प से होती है। रामचरितमानस का पाठ शुरू करते समय यह सुनिश्चित करना आवश्यक होता है कि कोई भी व्यक्ति बीच में उठे नहीं, पाठ रुकना नहीं चाहिए और दीपक लगातार जलता रहना चाहिए। पाठ सामान्यतः समूह में करवाया जाता है ताकि वक्ता बदलते रहें और पाठ सतत चलता रहे।
पाठ के समापन पर आरती की जाती है और फिर हवन का आयोजन किया जाता है। हवन में घी, कपूर, हवन समिधा, जौ, गूग्गुल और हवन सामग्री की आहुति दी जाती है। उसके पश्चात ब्राह्मणों को भोजन कराना और प्रसाद वितरण करना आवश्यक होता है।
इस पाठ को कराने से घर में सुख, शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पारिवारिक क्लेश, आर्थिक संकट, स्वास्थ्य समस्याएं दूर होती हैं और दुर्भाग्य टलता है। भगवान राम और हनुमान जी की विशेष कृपा बनी रहती है।
हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र पर्व है। इस दिन भक्तगण शिवलिंग की पूजा और व्रत करते हैं।
कई साधक मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव के निमित्त व्रत भी रखते हैं। यह तिथि भोलेनाथ की कृपा प्राप्ति के लिए काफी उत्तम मानी जाती है।
अमावस्या तिथि प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है। इस तिथि का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन स्नान-दान करने से पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है।
सतगुरु मैं तेरी पतंग,
बाबा मैं तेरी पतंग,