॥ श्री गिरिराज आरती ॥
ॐ जय जय जय गिरिराज,स्वामी जय जय जय गिरिराज।
संकट में तुम राखौ, निज भक्तन की लाज॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...॥
इन्द्रादिक सब सुर मिल, तुम्हरौं ध्यान धरैं।
रिषि मुनिजन यश गावें, ते भवसिन्धु तरैं॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...
सुन्दर रूप तुम्हारौ, श्याम सिला सोहें।
वन उपवन लखि-लखि के, भक्तन मन मोहें॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...
मध्य मानसी गङ्गा, कलि के मल हरनी।
तापै दीप जलावें, उतरें वैतरनी॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...
नवल अप्सरा कुण्ड सुहावन, पावन सुखकारी।
बायें राधा-कुण्ड नहावें, महा पापहारी॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...
तुम्ही मुक्ति के दाता, कलियुग के स्वामी।
दीनन के हो रक्षक, प्रभु अन्तरयामी॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...
हम हैं शरण तुम्हारी, गिरिवर गिरधारी।
देवकीनंदन कृपा करो, हे भक्तन हितकारी॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...
जो नर दे परिक्रमा, पूजन पाठ करें।
गावें नित्य आरती, पुनि नहिं जनम धरें॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...
ॐ जय जय जय गिरिराज,स्वामी जय जय जय गिरिराज। संकट में तुम राखौ, निज भक्तन की लाज॥
बोलिये वृन्दावन बिहारीलाल की जय
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वट सावित्री व्रत विवाहित स्त्रियों द्वारा अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना से रखा जाने वाला एक विशेष पर्व है।